निरस्त हुआ कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला 

कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिंपोंग से अर्द्धसैनिक बलों को हटाने के केंद्र के फैसले पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को 8 मार्च के बाद हटाने की अनुमति दे दी है। आज सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने मेघालय के विधानसभा के लिए अर्द्धसैनिक बलों की सौ कंपनियों की मांग की है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च के बाद सभी अर्द्धसैनिक बलों को दार्जिलिंग और कलिंपोंग से हटाने की अनुमति दे दी। पिछली सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार की अर्धसैनिक बलों को हटाने की मांग का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अगर अर्धसैनिक बलों को हटाया जाएगा तो गोरखा आंदोलन से तबाह इलाका और तबाह हो जाएगा। 27 अक्टूबर 2017 को केंद्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने दार्जिलिंग और कलिंपोंग में तैनात अर्धसैनिक बलों की 15 कंपनियों को हटाने की अनुमति दे दी थी। केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें दार्जिलिंग और कलिंपोंग में अर्द्धसैनिक बलों की 15 कंपनियों की तैनाती हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था।आपको बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले 17 अक्टूबर को केंद्र सरकार के अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था। केंद्र सरकार के फैसले को पश्चिम बंगाल की सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने याचिका में कहा था कि दार्जिलिंग में अभी स्थिति तनावपूर्ण है और ऐसी स्थिति में सेना को हटाने का फैसला सही नहीं है।
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