याद आया बंगाली लेखिका सुष्मिता बनर्जी हत्या कांड
जगदीश यादव
कोलकाता। अफगानिस्तान के काबूल में कोलकाता निवासी एक महिला जुडिथ डिसूजा की अपहरण की घटना के बाद लेखिका सुष्मिता बनर्जी की हत्या का मामला फिर एक बार याद आ गया। कोलकाता निवासी व मात्र एक किताब लिखकर देश दुनियां में सूर्खियां बटोरने वाली लेखिका सुष्मिता की मौत इस तरह से होगी किसी ने सोचा भी नहीं था। ऐसे में भले ही जुडिथ डिसूजा का मामला अलग हो लेकिन सुष्मिता हत्या कांड के बाद इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि कट्टर पंथियों से भरे पड़े अफगनिस्तान में जुडिथ डिसूजा सुरक्षित है। वैसे भी इन दिनों आफगनिस्तान के हालात काफी खराब है और वहां रहने वालें विदेशियों के उपर लगातार खतरा मंडरा रहा है। माना की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सक्रियता से अफगनिस्तान व भारत के रिश्ते बेहद बेहतर हों गये हैं लेकिन इस बात का दावा तो नहीं किया जा सकता है कि जुडिथ डिसूजा पर मौत का खतरा नहीं मंडरा रहा है। कारण अफगनिस्तान में जिस तरह से कट्टरपंथी सक्रिय है इनसे वहां की सरकार भी त्रस्त है।
ज्ञात रहे कि 2013 के सितम्बर माह में अफगानिस्तान में भारतीय लेखिका व कोलकाता की मूल निवासी सुष्मिता बनर्जी की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 49 साल की सुष्मिता की पक्तिका प्रांत में उनके घर के बाहर हत्या की गई थी। उन्होंने अफगान कारोबारी जांबाज खान से शादी की थी । तालिबानी आतंकवादी प्रांतीय राजधानी खाराना में उनके घर पहुंचे और उनके पति तथा परिवार के दूसरे सदस्यों को बांध दिया था इसके बाद उन्होंने सुष्मिता को घर से बाहर निकालकर उन्हें गोली मार दी। ‘काबूली वाले की बंगाली बीवी’ किताब लिखकर आफगनिस्तान के कट्टर पंथियों का सच बताने की बड़ी किमत सुष्मिता को चुकाना पड़ा था।