रोजवैली चिटफंड घोटाला

कोलकाता। सत्तरह सौ करोड़ के रोजवैली चिटफंड घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से सीबीआइ को लिखा गया एक खत सामने आने से राज्य के राजनीतिक गलियारों में इस समय हलचल तेज हो गई है। 2015 में लिखे गए इस खत में करीब एक दर्जन प्रभावशाली राजनेताओं के नाम हैं, जिनमें मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हैं। हालांकि ईडी सूत्रों ने इस खत को फर्जी बताया है। ईडी के मुताबिक जिस खत की बात कही जा रही है, वह पूरी तरह फर्जी है। उन्होंने इस खत की कई खामियां भी गिनाईं। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने साफ कहा है कि रोजवैली कांड में सीबीआइ को 14 जुलाई, 2015 को भेजे गए पत्र संख्या (ईसीआइआर/02/2015/केओएल/एकेएस/822) का उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। रोजवैली घोटाले में तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल और सुदीप बंद्योपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद यह खत सामने आया है।

इस खत के मुताबिक ईडी ने रोजवैली समूह के प्रमुख गौतम कुंडू की गिरफ्तारी के बाद भुवनेश्वर में सीबीआइ के एसपी को पत्र लिखकर कुंडू से पूछताछ में मिले तथ्यों के आधार पर घोटाले में शामिल कुछ अहम लोगों के बारे में जानकारी दी थी। इस पत्र में कई उद्योगपतियों के अलावा कुल 11 लोगों का जिक्र है, जिनमें दो सांसद व कुछ मंत्री शामिल हैं। इसमें सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय और तापस पाल के अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्व खेल व परिवहन मंत्री मदन मित्र का जिक्र है। उनके साथ गौतम कुंडू के गहरे संपर्क बताए जा रहे हैं। खत में उल्लेख है कि कुंडू का पूर्व मंत्री के घर आना-जाना था। मंत्री उनकी मदद करते थे। खत की सच्चाई के बारे में बात करने पर एक ईडी अधिकारी ने भी माना कि यह जाली है। उन्होंने बताया कि खत में जिस रबर मोहर का प्रयोग किया गया है, वह ईडी द्वारा प्रयोग किए जाने वाले मोहर से अलग है। उस पर हस्ताक्षर भी नहीं है।

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