जगदीश यादव

burn1-scaled5002कोलकाता। कहते हैं कि पैसे में बड़ी ताकत होती है। वैसे पैसे की ताकात का अंदाजा इस देश के तमाम लोगों को एक बिते आठ दिनों में लग गया होगा। भ्रष्ट व लचर  व्यवस्था के कारण आम-आदमी को रोज परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। लेकिन कुछ ऐसे भी दिवांगत रहें जिन्हें मरने के बाद भी ताजे नोटों के भूत का सामना करना पड़ा। महानगर के शवदाह स्थलों में भी पांच सौ और एक हजार के नोट बंद होने के बाद विषम स्थितियां उत्पन्न हुई। महानगर के कालीघट स्थित केवड़ातल्ला श्मशानघाट में एक परिवार के पास फुटकर नहीं होने के कारण मृतक के अंतिम संस्कार के लिए जहां सामग्री खरीदने के लिये जद्दों जहद करना पड़ा। वहीं कोढ़ में खाज तो तब साबित हुआ जब शव जलाने वाले (डोम) ने पुराने नोट लेने से इंकार किया। काफी मान मन्नौवल के बाद ही शव पुराने नोट लेकर ही जालाया गया।परेशानी का सामना  सिर्फ किसी एक मृतक के परिजनों के साथ नहीं घटी है बरना उक्त शम्शानघाट में तमाम मृतकों के परिजनों के साथ शव दाह करने वालें नये नोटों की मांग कर रहें हैं। जबकि नियमता शव दाह करने वालें मृतकों के परिजनों से किसी भी तरह का व्यक्तिगत तौर पर कोई शुल्क कहें या रुपये नहीं ले सकते हैं।  हलांकि नगर निगम के शवदाह सेंटर जहां दाह सामग्री से लेकर शव दाह के लिये शुल्क पुराने नोटों में लिया जा रहा है। मामले पर काई बार स्थानीय तृणमूल विधायक माला राय जिनका कार्यालय ठीक उक्त श्मशानघाट के सामने है से भेंट नहीं हो सका। कई बार फोन करने पर उन्होंने कहा कि वह फिलहाल व्यस्त हैं।

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