कहा- 6500 रु प्रति क्विंटल से अधिक मूल्य पर नहीं बेचा जा सकता कच्चा जूट

प्रभात गुप्ता

प्रभात गुप्ता

पश्चिम बंगाल में जूट का बाजार भाव में तेजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में जूट की बम्पर खेती के बावजूद मिलों में कच्चा जूट की भारी कमी महसूस की जा रही है। खरीफ सीजन के लिए केंद्र सरकार को जूट के बोरे की सप्लाई बाधित होने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए वस्त्र मंत्रालय के अधीन जूट कमिश्नर ने गुरुवार को प्रति क्विंटल जूट का अधिकतम मूल्य निर्धारित करते हुए फरमान जारी कर दिया। जिसमें कहा गया कि अब 6500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक मूल्य पर डीलर, ट्रेडर, एजेंसी और सप्लायर ना तो जूट खरीद सकेंगे और ना ही किसी से बेच पाएंगे। केंद्र सरकार का यह फरमान 30 जून 2022 तक प्रभावी रहेगा। जूट के जानकार मानते हैं कि वर्तमान में प्रति क्विंटल जूट का भाव केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित मूल्य से करीब 400 रुपए अधिक है। ऐसी स्थिति में जिन मिलों के पास जूट का स्टॉक पर्याप्त है, उन्हें कोई परेशानी नहीं है, पर जो मिल कुआं खोद पानी पीने की स्थिति में हैं उनके लिए बोरे का उत्पादन मुमकिन नहीं होगा। फलस्वरूप कम पूंजी वाली जूट मिलों में उत्पादन ठप होने के सिवाय कोई चारा नहीं रहेगा। ऐसी जूट मिलें महंगा जूट खरीदकर सस्ती दर में केंद्र सरकार को जूट के बोरे सप्लाई करने का जोखिम नहीं उठाएंगे।इधर, जूट मिल मालिकों का संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (ईजमा) के चेयरमैन राघव गुप्ता ने सरकार के इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इससे जूट के बढ़ते भाव में कमी आनी चाहिए। जूट का भाव स्थिर करने संबंधी जूट कमिश्नर के निर्देश का बाजार पर अनुकूल असर पड़ सकता है। इस संदर्भ में जूट कारोबारियों का संगठन जूट बेलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

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