वारदात के पीछे आतंकियों के हाथ होने की आशंका 

जांच में सीआईडी को मदद कर रही है एसटीएफ

कोलकाता। दमदम के नागेर बाजार इलाके में मंगलवार को हुए विस्फोट के संबंध में स्वत: स‍ंज्ञान लेते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। विस्फोट में किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, यह पता लगाने के लिए मौके से नमूने इकट्ठे किए गए हैं और फरेंसिक जांच की जा रही है। बैरकपुर पुलिस कमीश्नरेट के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’ अधिकारी ने कहा, ‘आस-पड़ोस की दुकानों के साथ-साथ यातायात पुलिस से ली गई सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। जांच के लिए नजदीक के इलाके में रह रहे लोगों को भी सवाल-जवाब के लिए बुलाया गया है।’ इधर इस धमाका के पीछे आतंकियों की साजिश की बू आने लगी है। जांच में जुटी सीआईडी की टीम में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि घटना की जांच के लिए कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की भी मदद ली गई है। पिछले साल नवम्बर में इस इलाके से जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, अंसारउल्लाह बांग्ला टीम और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों ने दमदम से कमरहटी तक के विस्तृत इलाके को अपना ठिकाना बनाया था एवं यहां आसानी से मिलने वाले विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट, गिल्सरीन, पोटैशियम क्लोरेट और सल्फर के साथ चीनी को मिलाकर विस्फोटक बनाते थे। पिछले साल इलाके से पकड़े गए थे आतंकी एसटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा के जिन दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था उनके नाम है शमशाद मियां और रिजाउल इस्लाम। इन लोगों ने पूछताछ में बताया था कि यह आईईडी विस्फोटक बनाने में महारथी थे और उक्त सभी विस्फोटकों को मिला कर किसी भी पाइप या डब्बे में भरते थे और बाहर एक तार को इस तरह सेट करते थे कि तार को खींचते ही अंदर लोहे के दो टुकड़े टकराएंगे। उससे निकलने वाली आग की वजह से यह सारे विस्फोटक रासायनिक क्रिया कर तेज आवाज के साथ विध्वंसक विस्फोट करेगे। मंगलवार को नागेरबाजार में भी जो विस्फोट हुआ है वह उच्च तीव्रता वाला था। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस बंद दुकान के बाहर विस्फोट हुआ वहां कंक्रीट की बनी फुटपाथ का करीब दो फीट का हिस्सा नीचे धंस गया है। इसके अलावा बंद दुकान की शटर का करीब तीन से चार इंच का मोटा लोहा पूरी तरह से मुड़कर धनुष के आकार का हो गया है। आस-पास स्थित दो इमारतों की तीसरी मंजिल की खिड़कियों के कांच टूट गए एवं इमारत के ऊपरी तले पर खाट पर सोया हुआ एक व्यक्ति उछलकर नीचे गिर पड़ा था। बम में लगा था आईईडी की तरह ट्रिगर जांच कर रहे सीआईडी अधिकारियों ने बताया है कि यह एक सॉकेट बम था लेकिन यहां से अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम सल्फेट और आईईडी तैयार करने वाले अन्य विस्फोटकों के हिस्से बरामद किए गए हैं। विस्फोट हुए बम के जो टुकड़े मिले हैं उसमें एक बाहर निकले हुए तार का हिस्सा भी शामिल है। इससे ऐसा लग रहा है जैसे इस तार को ट्रिगर के तौर पर सेट किया गया था ताकि जिस बोरे से बम को ढका गया था उसे खींचते ही विस्फोट हो जाए और ऐसा ही हुआ। घटना में एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 10 से अधिक लोग घायल हैं। घटनास्थल के पास भूटान का दूतावास भी स्थित है एवं इस इलाके में बांग्लादेश दूतावास के कई वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं। इसके पहले भी आतंकियों ने असम और पूर्वोत्तर के अन्य क्षेत्रों में इसी तरह का विस्फोट किया है जिसमें कम लोगों की मौत हुई है लेकिन अधिक से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस घटना के भी सारे तथ्य इन पुरानी घटनाओं से हूबहू मिल रहे हैं। इसे देखते हुए जांच एजेंसियां इस ब्लास्ट के पीछे भी आतंकियों की साजिश से इनकार नहीं कर रही है। मंगलवार सुबह नागेरबाजार में भयावह विस्फोट हुआ था। घटना में विभाष घोष नाम के एक आठ साल के बच्चे की मौत हो गई है जबकि उसकी मां सीता घोष समेत 10 से अधिक लोगों का इलाज राजधानी कोलकाता के अलग-अलग अस्पताल में चल रहा है। वही एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों से मिली जानकारी विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने में अहम साबित हो सकती है। यह पूछने पर कि क्या यह विस्फोट तृणमूल कांग्रेस में आपसी झगड़े का नतीजा है, उन्होंने कहा कि इस वक्त कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। अधिकारी ने कहा, ‘हम इसके लिए जिम्मेदार किसी की भी पहचान नहीं कर पाए हैं। और यह कहना बहुत मुश्किल है कि वह किसी खास राजनीतिक संगठन से है या नहीं। हमारी जांच अभी बहुत शुरुआती चरण में है और अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।’
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