सड़कों पर सोने को मजबूर हुए अस्पताल के मरीज

आसपास के एटीएम और बैंकों की बिजली गुल रहने से बढ़ी बेहाली

कोलकाता। एक बार फिर राज्य सरकार की समग्र व्यवस्था पर तब सवाल उठा जब मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आज सुबह आग लग गई। आग के बाद जहां अस्पताल के ऐसे बी कर्मी थें जो खुद को सुरक्षित रखने की मुहिम में रत थें वहीं अगलगी के कारण बदत्तर हालात व माहौल के कारम यहां अस्पताल में तमाम मरीजों को तड़पते भी देखा गया। सबसे हैरत की बात रही की मरीजों को सड़कों पर सोने को छोड़ दिया गया। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की जिस इमारत में आग लगी थी उसमें हेमेटोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी, औषधि केंद्र, हाई डिपेंडेंसी यूनिट एवं प्रसूति विभाग मौजूद है। इन सभी विभागों में भर्ती किए गए करीब 400 रोगियों को आनन-फानन में कोलकाता पुलिस, आपदा प्रबंधन और सिविक वॉलिंटियर की टीम ने जैसे-तैसे इन वार्डों से बाहर निकाल कर या तो दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया या स्ट्रेचर पर, गोद में अथवा किसी कपड़े में टांग कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाहर सड़कों पर लिटा दिया गया। सबसे पहले आग से इनकी जान बचाना जरूरी था इसलिए इस बचाव कार्य में रोगियों के परिजनों ने भी मदद की। घटना के बाद रोगियों को बाहर निकाले जाने का दृश्य बहुत ही भयावह था। किसी को तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत थी तो किसी को स्लाइन की, लेकिन बाहर सड़कों पर केवल एक प्लास्टिक या कपड़े पर लिटाकर रखे गए ये रोगी दर्द से छटपटा रहे थे। इनमें से किसी किसी की हालत अत्यंत गंभीर थी। इसमें से कुछ कैंसर के मरीज भी थे। पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ इन रोगियों के परिजनों ने भी उन्हें बाहर निकालने में मदद की थी लेकिन भयावह आग लगने की वजह से इन्हें घंटों तक सड़क किनारे निरिह हालत में छटपटाने के लिए छोड़ देना पड़ा था। हालांकि घटना की सूचना मिलने के बाद तुरंत कोलकाता नगर निगम के मेयर और राज्य के अग्निशमन मंत्री शोभन चटर्जी मौके पर पहुंचे। उन्होंने अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर बताया कि हालात सामान्य हो गए हैं। सुबह 10:00 बजे के करीब आग बुझाने के बाद इन रोगियों को उन सभी वार्डों में धीरे-धीरे शिफ्ट किया गया जहां से धुआं निकल गया था एवं एक बार फिर इनकी चिकित्सा शुरू कर दी गई है। हालांकि रोगियों के परिजनों का आरोप है कि आग लगने के बाद अस्पताल प्रबंधन निरीह और निष्क्रिय बन गया था। परिजनों के हंगामा करने के बाद बाहर सड़कों पर लिटाए गए रोगियों को अस्पताल में शिफ्ट करने की पहल की गई। घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है लेकिन बताया गया है कि धुएं की वजह से कुछ रोगियों की तबीयत और अधिक बिगड़ गई थी। हालांकि बाद में चिकित्सा के बाद में इसके प्रभाव से मुक्त हो गए हैं। वही आग लगने के बाद पूरे मेडिकल कॉलेज समेत आसपास के एटीएम और बैंकों की बिजली भी घंटों काट दी गई थी। इसकी वजह से वहां रहने वाले आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। दरअसल अस्पताल के जिस औषधि केंद्र में आग लगी थी उसके ठीक बगल में स्टेट बैंक का एटीएम है। आग बुझाने के लिए सीईएससी कर्मियों ने तुरंत पूरे अस्पताल का बिजली के तारों को काट दिया था। इसके बाद पता चला कि ना केवल अस्पताल बल्कि उसके आसपास करीब 700 मीटर के क्षेत्र में स्थित सभी एटीएम, बैंक और अन्य इमारतों की बिजली कट गई थी। 2 घंटे के बाद बाकी की इमारतों की बिजली तो वापस आ गई लेकिन एटीएम का बिजली के तारों को देर शाम तक कटा रहा। हालांकि बाद में बैंकों की ओर से जब सीएससी से इस बारे में संपर्क किया गया तो शाम 5:00 बजे के बाद एटीएम मशीनों में विद्युत सेवा बहाल की गई।
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