पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर विशेष स्मरण

जगदीश यादव 
कोलकाता। ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई। जी हां, उक्त कविता की पंक्तियां पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की है जिन्होंने नई दिल्ली के एम्स में लंबे इलाज के दौरान 93 साल की उम्र में दुनियां के मेले को हमेशा के लिये अलविदा कह दिया। भले ही उनका निधन हो गया है लेकिन, अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा याद किये जाते रहेंगें। पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी को करीब से जानने वालो में अन्यतम व प्रदेश भाजपा के सम्भावित अध्यक्ष पद के लिये चर्चा में रहें आरएसएस के वरीय नेता डा. आशीष सरकार ने एक खास बातचीत में अटल बिहारी बाजपेयी के साथ के स्मरणों को बताया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदु परिषद से लेकर बीएमएस जैसे संगठनों में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा चुके डा.आशीष सरकार कभी राम मंदिर आन्दोलन के लिये भी देश भर में चर्चा में रह चुके है। डा. सरकार ने बताया कि उन्हें बाजपेयी जी  का स्नेह मिला इसके लिये वह अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं। डा. सरकार ने बताया कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दिसंबर 1984 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में अटल बिहार वाजपेयी पर घातक हमला किया गया। हमले में उनका पैर टूट गया था लेकिन वह चुनाव प्रचार में डटे रहें जबकि हमलोग उन्हें अराम करने के लिये हर स्तर पर दबाव डालते रहें। डा. सरकार के अनुसार कांग्रेस का दौर था। मै चुनाव के काम में काफी सक्रिय था बाजपेयी जी को ग्वालियर से चुनाव लड़ना था लेकिन माधवराव सिंधिया कांग्रेस के ऐसे सांसद थे, जिन्होंने कभी किसी भी चुनाव में हार का मुंह नहीं देखा। तय हुआ कि पूर्व पीएम बाजपेयी इंदौर से चुनाव लड़ेगें लेकिन जब वह वहां से पर्चा भरने जाने वाले थे ठीक नियत समय पर वह फ्लैट रद्द करवा दिया गया जिसमे अटल बिहारी वाजपेयी को जाना था। सिंधिया की अब तक की जीत में सबसे बड़ी जीत 1984 की जीत को माना जाता है, जब उन्होनें पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के प्रखर नेता अटल बिहारी वाजपेई को आम चुनाव में बड़े अंतर से मात दी थी। उस समय राजीव गांधी ने ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेई के खिलाफ चुनाव में खड़ा किया। देखने लायक बात ये थी की अटल बिहारी वाजपेई भी ग्वालियर के सपूत थे और भाजपा के दिग्गज नेता थे और दूसरी तरफ माधवराव सिंधिया ग्वालियर के शाही खानदान के चिराग थे। डा.अशीष सरकार ने बताया कि अटलजी के साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का काम किया और अटलजी हर एक कार्यकर्ता को अपना भाई मानते थें।
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