हिंदूवादी पिता के कम्युनिस्ट बेटे के निधन पर शोक की लहर
अस्पताल को दान होगा वामपंथी नेता का पार्थिव शरीर

कोलकाता।लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। चटर्जी 89 वर्ष के थे और उनके परिवार में पत्नी एवं दो बेटियां हैं।अधिकारी ने बताया कि चटर्जी को कल ‘‘दिल का हल्का दौरा’’ पड़ा था जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई और आज सुबह करीब सवा आठ बजे उनका निधन हो गया। चटर्जी को किडनी से संबंधित बीमारी थी और उन्हें गत मंगलवार को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।अधिकारी ने बताया, ‘‘उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और बीती रात से उनपर इलाज का कोई असर नहीं हो रहा था। आज सुबह करीब सवा आठ बजे उनका निधन हो गया।’’ चटर्जी को कल सुबह दिल का दौरा पड़ा था। उनका आईसीयू में इलाज चल रहा था। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष को पिछले महीने मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ था।उनका पिछले 40 दिन से इलाज चल रहा था और स्वास्थ्य में सुधार होने के चलते उन्हें तीन दिन के लिए अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। अधिकारी ने बताया कि पिछले मंगलवार को उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। दस बार लोकसभा के सांसद रहे चटर्जी माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य थे। वह 1968 में माकपा में शामिल हुए थे।वह वर्ष 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे।माकपा के संप्रग-1 सरकार से समर्थन वापस ले लेने के बावजूद चटर्जी ने लोकसभा के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इस वजह से वरिष्ठ नेता को वर्ष 2008 में माकपा से निष्कासित कर दिया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चटर्जी के निधन पर शोक जताया और कहा कि सभी दलों के सांसद उनका सम्मान करते थे।गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘10 बार सांसद रहे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी के निधन पर मैं शोक प्रकट करता हूं।’’ सोमनाथ चटर्जी ने 2002 में अपना पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज को दान देने का संकल्प लिया था। सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता निर्मलचंद्र चटर्जी और मां वीणापाणि देवी थीं। मशहूर वकील और कलकत्ता हाई कोर्ट के जज रहे निर्मलचंद्र चटर्जी आजादी से पहले हिंदू महासभा के संस्थापक सदस्य रहे थे। देश के पहले लोकसभा चुनाव में सोमनाथ के पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के टिकट पर निर्वाचित भी हुए थे। हालांकि हिंदूवादी पिता के पुत्र सोमनाथ चटर्जी की राजनीति की धारा उलटी बही। सोमनाथ चटर्जी को वामपंथ की राजनीति रास आई। 1968 में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने और 1971 में पार्टी के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचने में कामयाब रहे। सोमनाथ चटर्जी के परिवार के इस खास पहलू पर एक बार सुषमा स्वराज ने तंज भी कसा था। 1990 के दशक में एक बार संसद में बोलते हुए सुषमा ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ‘एक देश-एक संस्कृति’ के विचार पर बोलते हुए सोमनाथ चटर्जी को ही उदाहरण के रूप में पेश कर दिया था। सुषमा ने कहा था कि एक देश और एक संस्कृति का ही परिणाम है कि एक बंगाली निर्मलचंद्र चटर्जी ने अपने बेटे का नाम सोमनाथ रखा। दरअसल सुषमा मशहूर सोमनाथ मंदिर का जिक्र कर रही थीं, जिसे आक्रांता महमूद गजनवी ने गिराया था।

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