आज राज्य भर में विशेष सतर्कता के निर्देश

कोलकाता। केन्द्र सरकार द्वारा नक्सल आंदोलन के अन्यतम नेता माने जाने वाले चारु मजुमदार की पुण्यतिथि पर को लेकर अलर्ट जारी किया है। राज्य गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है। 28 जुलाई तक सुरक्षा एजेंसियों को विशेष सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। भले ही पश्चिम बंगाल नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची से बाहर है| लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए सीमावर्ती राज्यों से नक्सलियों के इस राज्य की सीमा में घुसने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसे देखते हुए राज्य के उन सभी जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को इस बारे में सतर्क किया गया है। बता दे कि केंद्र सरकार की सूची में भी पश्चिम बंगाल नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची से बाहर है लेकिन नक्सलवाद का आदर्श माने जाने वाले नेता की पुण्यतिथि को केंद्र सरकार नजरअंदाज नहीं कर पा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, असम समेत पश्चिम बंगाल को भी विशेष एडवाइजरी जारी कर इस सप्ताह विशेष सतर्क रहने के लिए कहा है।इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतते हुए प्रशासन के अधिकारी स्थानीय लोगों के साथ समन्वय बनाकर किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि या संदिग्ध लोगों पर नजर रख रहे हैं। 28 जुलाई तक पूरे राज्य में इसे लेकर सतर्कता बरती जाएगी। बता दे कि देश में नक्सल आंदोलन का जनक पश्चिम बंगाल के चारु मजुमदार और कानू सान्याल को माना जाता है। आजादी की लड़ाई के बाद से लेकर 20 के दशक तक का एक दौर था जब पश्चिम बंगाल का नक्सलबाड़ी, जंगलमहल, अलीपुरद्वार का इलाका नक्सलवाद की चपेट में था।हिंसक नक्सली आंदोलन के जनक माने जाने वाले चारु मजूमदार को 45 साल पहले 1972 में 28 जुलाई को मार दिया गया था। नक्सलियों की ओर से इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है एवं तमाम तरह की हिंसक वारदातों को अंजाम देने की कोशिश की जाती है। इसे लेकर सतर्कता निर्देशिका जारी की गई है। मिली जानकारी को माने तो 16 जुलाई को 1972 को महानगर कोलकाता में चारु मजुमदार को गिरफ्तार किया गया व तथा 28 जुलाई को लाल बाजार पुलिस लॉक अप में उनकी मृत्यु हो गई | मृत शरीर भी परिवार को नहीं सौंपा गया। पुलिस, निकटतम परिवारजनों के साथ शरीर को शवदाहगृह ले गई। पूरा इलाका घेरे में लिया गया था और किसी भी दूसरे रिश्तेदार को जिस्म को जलाते समय अन्दर आने की अनुमति नहीं दी।लाल बाज़ार लॉक अप की पुलिस हिरासत में वे दस दिन रहे किन्तु इस दौरान किसी को भी उनसे मिलने या देखने की अनुमति नहीं दी गई |

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