महानगर सहित राज्य भर में रही उल्टा रथ यात्रा की धूम
रिमझिम फुहारों के बीच भक्त खिंचते रहें देवरथ
मायापुर में अर्पित किये गये देवों को 56 भोग

जाकीर अली/ जयदीप यादव

Photo-पुषन चक्रवर्ती

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कोलकाता। गाजे बाजे,शंख व घंटे के भक्तिमय लय व जय जगन्नाथ के उद्धघोष के बीच महानगर कोलकाता सहित राज्य भर में रथयात्रा की धूम रही। आज जग के नाथ कहे जाने वाले भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर से वापस अपने घर लौटे। वैसे भगवान जगन्नाथ अकेले ही अपने घर नहीं लौटते हैं बरन उनके साथ उनकी बहन सुभद्रा व भाई बालभद्र भी होंते है। महानगर कोलकाता का धर्मतल्ला इलाका हो या फिर हुगली जिले की ऐतिहासिक माहेश की रथयात्रा। भगवान का रथ खींचने को लेकर भक्तों में गजब का उत्साह दिखा। इस्कान की रथयात्रा में तो हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए।रथ यात्रा को लेकर कोलकाता से लेकर जिला पुलिस की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे।जैसे जैसे सुबह के बाद समय का चक्का चलता गया रथयात्रा को लेकर चहल पहल भी बढ़ती रही। इधर राज्य के नदिया जिले के मायापुर स्थित इस्कान मन्दिर में उल्टा रथ के मौके पर जगन्नाथ देव के लिए 56 भोग चढ़ाए गये। भोग में सफेद भात, पुलाव, खिचड़ी, जीरा राईस लेमन राईस, कच्चू साग, मानकच्चू, पटल, भिंडी सहित 10 तरह के दाल एवं सब्जियां शामिल की गई हैं। इसके अलावा आम, कटहल समेत कई फलें के साथ ही पायस, मालपुआ एवं कई तरह की मिठाइयों को भी भोग में शामिल किया गया है। आज जगन्नाथ देव गंगा किनारे प्रभुपाद घाट स्थित अपने मौसी के घर लौटें। यहां पुरी मन्दिर की तर्ज पर अस्थाई गुण्डिचा मन्दिर बनाया गया है। इस मौके पर इस्कॉन मन्दिर प्रांगण में मेला सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए । यहां जगन्नाथ, बलराम तथ सुभद्रकर एक रथ सजाया गया था जिसे वापस पांच किलोमीटर दूर राजापुर स्थित इस्कॉन मन्दिर में ले जाया गया। इस मौके पर इस्कान के जनसम्पर्क अधिकारी रसिक गौरांग दास ने कहा कि सिर्फ नाम के 56 भोग हैं लेकिन इसमें हम लोगों ने 100 किस्मों के व्यंजन एवं फल भी शामिल किये हैं। उन्होंने कहा कि उल्टा रथ के मौके पर काफी लोगों की भीड़ एकत्रित हुई है। अभी भी दूर-दूर से दर्शनार्थियों का आना जारी था। गौरतलब है कि 14 जुलाई को रथयात्रा के दिन जगन्नाथ देव अपने मौसी के घर आए थे, जिसके अगले दिन से ही यहां विभिन्न तरह के सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गये।

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