योगेन्द्र सिंह परिहार

पिछले एक-दो वर्ष से देश में अजीबों-गरीब वातावरण बनाने का प्रयास हो रहा है और कुछ तथाकथित बॉलीवुड कलाकार इतिहास को झुठलाकर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. यदि कोई कलाकार नाच गाकर करोड़ों रुपये इकठ्ठा कर ले व् उन पैसों की चकाचऔंध में सीधे महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरु पर टिपण्णी करने लगे और ये कहने लगे कि “देश के लिए गाँधी-नेहरु परिवार ने क्या किया जिससे देश की हर राष्ट्रीय संपत्तियों पर उनका नाम होता है” ऐसे दुर्वचनों से महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु और इंदिरा गाँधी की छवि पर कोई असर नहीं पडेगा लेकिन इन कलाकारों का मानसिक दिवालियापन साफ़ झलकता है.

इतिहास साक्षी है स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी का अप्रतिम योगदान रहा. एक प्रतिष्ठित बैरिस्टर होते हुए देश की आज़ादी के लिए सब कुछ त्याग देना आसान नहीं होता, इन मौकापरस्त कलाकारों की इन बातों को सुनने से पहले, देश को उन बातों को सुन लेना चाहिए जिन्हें प्रतिपादित करने के लिए देशवासियों के पूर्वज उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर खड़े थे चाहे वो 1930 में नमक के लिए निकाला गया करीब 400 किमी का पैदल दांडी मार्च हो, चाहे 1942 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने के लिए “भारत छोडो आन्दोलन” रहा हो, गाँधी जी का देश के प्रति समर्पण और सबको साथ लेकर चलने की अपार क्षमता और दक्षता उनके अदम्य साहस का ऐतिहासक उदाहरण है. गाँधी जी स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए हर परिस्थिति में सत्य और अहिंसा की बातें करते थे, साधारण सी धोती और शाल उनका पहनावा था. वे सदा शाकाहारी भोजन करते थे. सामाजिक विरोध और आत्म-शुद्धि के लिए कई दिनों का उपवास कर लेते थे. देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को ऐसे कुत्सित विचारों से सज्जित मानसिकता के लोगों ने मौत के मुंह में धकेल दिया.

पंडित जवाहरलाल नेहरु जिनके पिता देश के जाने माने बैरिस्टर थे उन्होंने स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए कांग्रेस पार्टी को अपना घर दान में दे दिया था. जवाहर लाल नेहरु जी ने “भारत एक खोज” जैसी अनेकों किताबें जेल के अन्दर लिखीं. ये सभी बातें स्वतंत्रता आन्दोलन में गाँधी जी के साथ नेहरु जी के संघर्ष एवं अविस्मरणीय योगदान की कहानी को स्वतः इंगित करती है. इसी तरह कम उम्र में ही इंदिरा गाँधी अपने पिता के नक़्शे कदमों पर चलने लगी थी और वे भी स्वतंत्रता के आन्दोलन में गांधी जी के सानिध्य में काम करती थी, इंदिरा गाँधी की अपने पिता जवाहरलाल नेहरु से पत्राचार के माध्यम से ही बात हो पाती थी क्योंकि नेहरु जी सर्वाधिक समय जेल में रहते थे. भारत के प्रधानमन्त्री के तौर पर इंदिरा गाँधी ने देश की अधोसंरचना को मजबूती देने का काम किया. इंदिरा जी ने प्रधानमत्री होते हुए पकिस्तान के 2 टुकड़े करके बांग्लादेश के रूप में नए देश का गठन किया और देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए.

नेहरु-गाँधी परिवार के संघर्षों की कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती, इंदिरा गाँधी की शहादत के बाद उनके पुत्र राजीव गाँधी ने मात्र 40 वर्ष की उम्र में देश के छठवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अपने आप को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया . राजीव गाँधी प्रधानमंत्री रहते हुए आधुनिक भारत के स्वप्न को साकार करने के उद्देश्य से सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में क्रान्ति लेकर आये जिससे देश कंप्यूटर युग में प्रवेश कर गया. जब राजीव गाँधी देश में कंप्यूटर लेकर आये तब विपक्ष ने ये कहकर हंगामा किया कि देश गुलाम हो जाएगा.

राजीव गाँधी के सपनों के भारत में आज कुछ संकुचित मानसिकता के लोग उसी कंप्यूटर और मोबाइल का दुरूपयोग करके त्यागी और बलिदानी नेहरु-गाँधी परिवार के खिलाफ देश में मुहीम चला रहे हैं. जो लोग गाँधी-नेहरु परिवार पर ऊँगली उठा रहे हैं वे सार्वजनिक तौर पर बताये कि गांधी-नेहरु परिवार के संघर्ष शील और त्याग के उपरोक्त उदाहरणों में से किसी भी एक पर किसी भी कलाकार या उनके परिवार के सदस्यों ने स्वतंत्रता से पहले अथवा स्वतंत्र भारत में देश के विकास के लिए अपनी भूमिका निभाई हो?

सिर्फ स्वार्थ सिद्धि के लिए ये बयान बाजी है या वे गंभीरता से ये आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि “अपने बाप का माल समझ रखा था” तो मैं इन अदाकारों को ये बताना चाहता हूँ कि यदि एअरपोर्ट के नामकरण की बात हैं तो भारत के सिर्फ 3 एअरपोर्ट ऐसे हैं जिनके नाम गाँधी परिवार से हैं. पहला महात्मा गाँधी के नाम पर नासिक का गाँधी नगर एअरपोर्ट, दूसरा राजीव गाँधी के नाम पर हैदराबाद का राजीव गाँधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट और तीसरा इंदिरा गाँधी के नाम पर नई दिल्ली का इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट है. भारत के शेष एअरपोर्ट स्वामी विवेकानंद, बल्लभ भाई पटेल, बाबा साहेब आम्बेडकर, भगत सिंह, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज जैसे अन्य कई महापुरुषों के नाम पर हैं. मीडिया में बने रहने की चाहत में ऐसे कलाकार उन मुद्दों पर बात करते हैं जिनका न उन्हें कोई बोध होता है न कोई सम्बन्ध लेकिन उनके ऐसे बयानों से भ्रम का माहौल ज़रूर बन जाता है. ये स्वयंभू कलाकार शायद ये नहीं समझ पाए होंगे कि सदियों से हम और हमारी आने वाली पीढ़ी जिस इतिहास को पढ़ रही है वो इतनी आसानी से किसी के नाम मिटा देने से खत्म होने वाला नहीं है. कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है इन चंद मौकापरस्तों को छोड़ दिया जाए तो बहुत से ऐसे कलाकार हैं जो आगे आकर मानव सेवा का कार्य कर रहे हैं जिनमे बॉलीवुड एवं रंगमंच से जुड़े कुछ बेहतरीन अदाकार भी हैं जो महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में प्राकृतिक आपदा से परेशान किसानों के उत्थान का कार्य कर रहे हैं और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं.

सामान्य रूप से कलाकार ये कहते हुए नज़र आते हैं कि हम तो सिर्फ दर्शंकों का मनोरंजन करते हैं हमारी वजह से किसी को थोड़ी सी ख़ुशी मिले उसका प्रयास करते हैं फिर इन कलाकारों को ये भी बाताना चाहिए कि जब वे मनोरंजन करते हैं तो इसका करोड़ों रुपये क्यों लेते हैं क्या ज़रूरत हैं पैसे लेने की. हम भी समझते हैं कि परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए पैसा कमाना ज़रूरी है, खूब पैसा कमाइए, किसने रोका हैं लेकिन पैसे के दंभ में महापुरषों को धता बताने का कुत्सित और घृणित प्रयास कहाँ तक उचित है. देश की जनता अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई से खर्च करके आप कलाकारों की फिल्मे देखने जाते हैं और उन्ही के पैसों से आप करोड़पति बन जाते हैं और इतने योग्य हो जाते हैं कि हर छोटी बड़ी बातों में अपनी राय देने लगते हैं.

हे स्वार्थपरता के पर्याय, हे रुपहले परदे के किरदार, देशवासी अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, किसान परेशान हैं, किसानों और मजदूरों के परिवार में अन्धकार के बादल छाए हुए हैं ऐसी परिस्थितियों में देश की जनता के लिए कुछ करिए. गाँधी-नेहरु परिवार की तरह अपना जीवन दांव में लगाकर सब कुछ त्याग तो नहीं सकते, देश की जनता का मन बहलाने के लिए मुफ्त में मनोरंजन कर दीजिये.हमसमवेत

 

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