कोलकाता। कहते हैं कि जानवरों को प्यार की पहचान बहुत होती है। इस बात का जीता-जागता सबूत है 60 साल के प्रदीप डे और किसी कुत्ते-बिल्ली नहीं बल्कि सियारों के बीच रिश्ता। पिछले 5-6 साल से गोल्डन सियारों के इस झुंड को डे हर रोज खाना खिलाते हैं और आवारा कुत्तों से उन्हें बचाते हैं। उत्तर कोलकाता के दमदम रेलवे स्टेशन के पास दिशारी प्लेफील्ड के किनारे रहता है सियारों का यह झुंड। साइकल रिपेयर की दुकान चलाने वाले पशुप्रेमी प्रदीप डे पिछले लगभग 5 साल से इन सियारों को खाना खिलाते आ रहे हैं। वह लोकल चिकन की दुकानों और रेस्तरां से बचा हुआ खाना इन सियारों को देते हैं। वह हर रात बांस की लाठी लेकर आवारा कुत्तों से सियारों को बचाने निकलते हैं। रात में दो बार 12 बजे और फिर 2:30 बजे उनके पास जाते हैं। उनके परिवार को यह बिलकुल नहीं पसंद कि डे सियारों के साथ-साथ कुत्ते-बिल्लियों को खाना खिलाते रहते हैं। हालांकि, इन सियारों से दोस्ती करने वाले अर्नब शायद यह बात समझते होंगे कि यह भावना कितनी खास है।वहीं, बिधाननगर ऐनिमल रेस्क्यू सेंटर के रेंजर उल्लास नाथ कहते हैं, ‘शहरी इलाके में ऐसा कुछ सुनना काफी अच्छा लगता है।’ हालांकि, वह कहते हैं कि मानवीय आधारों को छोड़कर उन सियारों को जंगल में भेजना बेहतर होगा।
