कोलकाता। त्रिपुरा में वामपंथियों का किला ढहाने की कोशिश में बीजेपी ने जो फिल्म बनाई थी, वह अब बीजेपी के लिए इस राज्य में काम आएगी। ‘लाल सरकार’ नाम से बनी इस फिल्म को त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी में रिलीज करने की तैयारी थी, लेकिन सेंसर सर्टिफिकेट न मिलने की वजह से यह हो नहीं सका। माकपा ने भी इलेक्शन कमिशन से इस फिल्म को लेकर शिकायत की थी। अब इसे सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है और इसे जल्द ही रिलीज़ करने की तैयारी है। यह फिल्म सीधे तो बीजेपी से नहीं जुड़ी है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, यह बीजेपी के सपॉर्ट से ही एक रणनीति के तहत बनी है। त्रिपुरा में बीजेपी का मुकाबला सीधे लेफ्ट से और 20 साल सीएम रहे माणिक सरकार से था, इसलिए इसमें लेफ्ट की इमेज को टारगेट किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, अब इस फिल्म का इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में करने की तैयारी है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना जोर पश्चिम बंगाल में भी लगाया है। यहां बीजेपी को टीएमसी के साथ साथ लेफ्ट से भी मुकाबला करना है। इस फिल्म के जरिए लोगों को लेफ्ट की कार्यशैली के बारे में बताया जाएगा। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि इसके जरिए हम लोगों का लेफ्ट के ईमानदार होने का भ्रम तोड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी से जुड़े लोगों ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक दूसरी फिल्म लाने की तैयारी की है। इसकी स्टोरी और स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है और अभी कास्टिंग फाइनल की जा रही है। कहा जा रहा है कि इस फिल्म की कहानी केंद्र में पिछली सरकार के इर्द गिर्द होगी। साफ है कि इस फिल्म के जरिए कांग्रेस को टारगेट किया जाएगा। ‘लाल सरकार’ के प्रड्यूसर सुशील शरमन ने बताया, ‘जब जनवरी में हमने सेंसर सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया था तो उस वक्त हमसे कहा गया कि फिल्म में लाल झंडे नहीं दिखाने हैं और त्रिपुरा नाम भी फिल्म से हटाना है, लेकिन हमें यह मंजूर नहीं था। इसके बाद हमने रिव्यू के लिए अप्लाई किया जिसमें काफी वक्त लग गया। अब फिल्म को बिना किसी बदलाव के सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है, बस तीन जगहों पर गाली म्यूट की गई है। हम इसे जल्द ही रिलीज करेंगे। हमारा फोकस पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम होगा। फिल्म हिंदी में है लेकिन इसमें बांग्ला का टच है।’ लाल सरकार फिल्म में त्रिपुरा में महिला सुरक्षा, क्राइम और करप्शन के मुद्दे उठाए गए हैं और इसके जरिए लेफ्ट को घेरने की कोशिश की गई है। फिल्म की शुरुआत कोलकाता की ट्राम में हीरो की हीरोइन से फोन पर हो रही बातचीत से होती है। हीरो डॉक्युमेंट्री फिल्म मेकर है और हिरोइन जर्नलिस्ट। उसकी बात सुनकर ट्राम में बैठा कोई शख्स उसे सुझाव देता है कि रियल स्टोरी चाहिए तो त्रिपुरा जाओ। हीरो जब वहां पहुंचता है तो देखता है कि कुछ राजनीतिक लोग कैसे कफ सिरप और गाजा की स्मगलिंग में लगे हैं। दरअसल यह दोनों त्रिपुरा में बहुत बड़े मुद्दे भी हैं। फिल्म में हीरो जब इन मसलों को उठाता है तो राजनीति लोग उसे किडनैप कर लेते हैं और फिर कैसे वह वहां से बाहर निकलता है, फिल्म इसके इर्द गिर्द घूमती है। इसमें हीरो का किरदार विकी राय ने निभाया है जो मॉडल हैं और कई टीवी सीरियल में काम कर चुके हैं। टॉलिवुड में खास पहचान रखने वाले श्रीकांत मन्ना फिल्म में विलेन है। अभिजीत पॉल फिल्म के डायरेक्टर हैं।
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