मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने निकाली अपनी भड़ास

कोलकाता। ‘ अजीब बात है कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं’ और राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है। उक्त बात आज देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने चुनावों के लिए बैलट पेपर को वापस लाने की सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा । आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री द्वारा महानगर कोलकाता में आयोजित एक परिचर्चा सत्र के दौरान बोल रहे थे। परिचर्चा ‘निर्वाचन ईमानदारी और चुनावों में धन की भूमिका’ विषय पर आयोजित की गई थी। रावत ने कहा, ‘प्रणाली की ईमानदारी के बारे में वास्तव में कुछ भी नहीं है। हालांकि जब भी इस मुद्दे पर सवाल उठते हैं, हम स्पष्टीकरण देते हैं।’ उन्होंने कहा कि आयोग ने पिछली जुलाई को सर्वदलीय बैठक में घोषित किया था कि आगे से सभी चुनाव वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के साथ ईवीएम का प्रयोग करके किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट का प्रयोग भी किया जाएगा।’ रावत ने कहा, ‘राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम को आसानी से बलि का बकरा बना दिया जाता है, क्योंकि वह बोल नहीं सकती और राजनीतिक दलों को अपनी हार का ठीकरा फोड़ने के लिए किसी न किसी चीज की जरूरत होती है।’ उन्होंने दावा किया कि भारत में मुक्त व निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया ने विश्व को प्रभावित किया है। रावत ने कहा, ‘यह प्रशंसा योग्य बात है कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के बावजूद, चुनाव आयोग कुछ ही घंटों में परिणाम देने में सक्षम है।’ उन्होंने कहा, ‘चुनावों में धन और ताकत के प्रयोग को समाप्त करने के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं।’

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