शांति निकेतन में पीएम ने किया-शेख हसीना-ममता बनर्जी के साथ मंच साझा

शेख हसीना ने भारत से मांगी रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए मदद

बीरभूम /कोलकाता। यहां किसी भी तरह की असुविधा के लिए मैं जिम्मेदार हूं. मैं यहां अतिथि के तौर पर नहीं आचार्य के तौर पर आया हूं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ही इस देश का आचार्य है. उक्त बात आज में शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही . उन्होंने कहा कि ‘सबसे पहले मैं विश्वभारती के चांसलर के तौर पर माफी मांगता हूं. जब मैं यहां आ रहा था, तो कुछ छात्रों ने मुझसे कहा कि यहां पीने के पानी की समस्या है. मैं आप सबको हुई असुविधा के लिए माफी मांगता हूं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना यहां मौजूद हैं. भारत और बांग्लादेश दो अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे हित जुड़े हुए हैं. चाहे वो संस्कृति हो या पब्लिक पॉलिसी, हम एक दूसरे से बहुत सीखते हैं और इसका एक बड़ा उदाहरण बांग्लादेश भवन है.उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों में टैगोर आज भी अध्ययन का विषय हैं. गुरुदेव पहले भी वैश्विक नागरिक थे और आज भी हैं.प्रधानमंत्री ने कहा कि 125 करोड़ देशवासियों ने 2022 तक न्यू इंडिया बनाने का संकल्प लिया है. इस संकल्प की सिद्धि में शिक्षा और शिक्षा से जुड़े आप जैसे महान संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसे संस्थानों से निकले नौजवान, देश को नई ऊर्जा देते हैं, एक नई दिशा देते हैं. उन्होंने कहा कि गुरुदेव के विजन के साथ-साथ न्यू इंडिया की आवश्यकताओं के अनुसार हमारी शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है. इस बजट में राइज के तहत अगले चार साल में देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.प्रधानमंत्री ने कहा कि यहाँ मैं एक अतिथि नहीं बल्कि एक आचार्य के नाते आपके बीच में आया हूँ. यहाँ मेरी भूमिका इस महान लोकतंत्र के कारण है. मेरा सौभाग्य है कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की इस पवित्र भूमि में इतने आचार्यों के बीच मुझे आज कुछ समय बिताने का समय मिला है.’मैं जब मंच की तरफ आ रहा था, तो ये सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर गुरुदेव के कदम पड़े होंगे. यहां कहीं आसपास बैठकर उन्होंने शब्दों को कागज पर उतारा होगा, कभी कोई धुन, कोई संगीत गुनगुनाया होगा, कभी महात्मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी, कभी किसी छात्र को जीवन का मतलब समझाया होगा.’मोदी ने कहा, ‘दूसरे देशों के लोग कैसे रहते हैं, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्य क्या हैं, इस बारे में जानने पर वो हमेशा जोर देते थे. लेकिन इसी के साथ वो ये भी कहते थे कि भारतीयता नहीं भूलनी चाहिए.’उन्होंने कहा, ‘शिक्षा तो व्यक्ति के हर पक्ष का संतुलित विकास है, जिसको समय और स्थान में बांधा नहीं जा सकता है. गुरुदेव चाहते थे कि भारतीय छात्र बाहरी दुनिया में भी जो कुछ हो रहा है, उससे परिचित रहें. मैं जब ताजिकिस्तान गया था, तो वहां गुरुदेव की एक मूर्ति का लोकार्पण करने का अवसर मिला था. गुरुदेव के लिए लोगों में जो आदरभाव मैंने देखा था, वो आज भी याद है.’प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आपके साथ चलने के लिए कोई तैयार ना भी हो, तब भी अपने लक्ष्य की तरफ अकेले ही चलते रहो, लेकिन मैं ये कहने आया हूं कि अगर आप एक कदम चलेंगे तो सरकार चार कदम चलेगी. जनभागीदारी के साथ बढ़ते हुए ये कदम ही हमारे देश को उस मुकाम तक लेकर जाएंगे, जिसका सपना गुरुदेव ने भी देखा था.
उन्होंने कहा कि कम उम्र में ही इनोवेशन का माइंड सेट तैयार करने की दिशा में हमने देशभर के 2400 स्कूलों को चुना है. इन स्कूलों में अटल थिंकरिंग लैब्स के माध्यम से हम छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों पर फोकस कर रहे हैं. इन लैब्स में बच्चों को आधुनिक तकनीक से परिचित करवाया जा रहा है.शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को पर्याप्त सुविधाएं मिले, इसके लिए 1000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी शुरू की गई है. इससे प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं में उच्च गुणवत्ता के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निवेश में मदद मिली है.
उन्होंने कहा कि गुरुदेव मानते थे कि हर व्यक्ति का जन्म किसी ना किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए होता है. प्रत्येक बालक अपनी लक्ष्य-प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके, इसके लिए उसे योग्य बनाना शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य है. वो कहते थे कि शिक्षा केवल वही नहीं है जो विद्यालय में दी जाती है. विश्वभारती विश्वविद्यालय न्यू इंडिया के साथ-साथ विश्व को नए रास्ते दिखाती रहे, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं.विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना भी शिरकत कर रही हैं. पीएम मोदी और शेख हसीना ने रविन्द्र भवन का भी दौरा किया.दोस्ती की नई इबारत लिखते हुए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत और बांग्लादेश के सांस्कृतिक संबंधों के प्रतीक ‘बांग्लादेश भवन’ का उद्घाटन किया. दोनों नेता एक द्विपक्षीय बैठक में भी हिस्सा लेंगे.बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की कर्मस्थलि शांति निकेतन में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भारत दौरे पर शुक्रवार सुबह पहुंचीं. इससे पहले शांति निकेतन पहुंचने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्ती ने पीएम मोदी का स्वागत किया.प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह मोदी का विश्वविद्यालय का पहला दौरा है.
शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश चाहता है कि अब जितना जल्द हो सके रोहिंग्या शरणार्थी अपने देश वापस लौट जाएं और भारत भी म्यांमार से बात करवाने में मदद करे। इधर रोहिंग्या शरणार्थियों की बात उठाते हुए बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने भारत की मदद मांगी। उन्होंने कहा, ‘रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में आसरा लिया हुआ है। हमने उन्हें इंसानियत के नाते जगह दी। हम चाहते हैं कि जितनी जल्द हो सके, वे अपने देश लौट जाएं। मैं चाहती हूं कि आप (भारत) म्यांमार से हमारी बातचीत करवाने में मदद करे ताकि वे रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस अपने देश ले जा सकें।’ बता दें कि दीक्षांत समारोह के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने 25 करोड़ रुपये की लागत से बने बांग्लादेश भवन का भी उद्घाटन किया। पीएम ने इस मौके पर कहा कि शायद यह पहला मौका है, जब किसी दीक्षांत समारोह में दो देशों के प्रधानमंत्री पहुंचे हैं। भारत और बांग्लादेश एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
आखिरी बार 2008 में संस्थान के कोई कुलाधिपति दीक्षांत समारोह में मौजूद थे. तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वहां का दौरा किया था. रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित संस्थान की कार्यकारी कुलपति सबुजकली सेन ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में पांच साल में यह पहला दीक्षांत समारोह होगा.उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम काफी खुश है कि इतने सारे गणमान्य लोग दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे. इसके बाद से हम दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह ही हर साल दीक्षांत समारोह आयोजित करने की कोशिश करेंगे.’’मोदी और हसीना के अलावा समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के एन त्रिपाठी एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुईं. कुलपति के मुताबिक पिछले चार दशकों में पहली बार राज्य का कोई मुख्यमंत्री दीक्षांत समारोह में शामिल होगा.
बांग्लादेश के करीब 150 प्रतिनिधि दीक्षांत समारोह और ‘बांग्लादेश भवन’ के उद्घाटन के लिए शुक्रवार को यहां  पहुंचे. शांतिनिकेतन कोलकाता से करीब 160 किलोमीटर दूर है. हसीना से मिलने के बाद मोदी झारखंड जाएंगे जहां वह सिंदरी में केंद्र एवं राज्य सरकारों की कई परियोजनाओं की आधारशिला डालेंगे. इनमें हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड की सिंदरी उर्वरक परियोजना, गेल की रांची सिटी गैस वितरण परियोजना, एम्स, देवघर, देवघर हवाईअड्डे का विकास और 3×800 मेगावाट उत्पादन क्षमता की पतरातू सुपर ताप विद्युत परियोजना को बहाल करना शामिल है.मोदी की मौजूदगी में ‘जन औषधि केंद्र’ के लिए सहमति ज्ञापनों का भी आदान प्रदान किया जाएगा और वह बाद में सभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री रांची में झारखंड के ‘आकांक्षापूर्ण’ जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत करेंगे.मोदी ने जनवरी में ‘आकांक्षापूर्ण जिलों का बदलाव’’ कार्यक्रम शुरू किया था, जिसका लक्ष्य इन जिलों के लोगों का जीवन स्तर बेहतर करने के लिए वहां तेजी से एवं प्रभावशाली तरीके से बदलाव लाना है.हसीना पश्चिम बर्द्धमान जिले के आसनसोल स्थित काजी नजरूल विश्वविद्यालय जाएंगी जहां उन्हें 26 मई को डी. लिट् की मानद उपाधि दी जाएगी.
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