हिंसा व खून खराबे की सम्भावना
सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने किया फ्लैग मार्च

कोलकाता। लंबी कानूनी लड़ाई तमाम दांव पेच व दिक्कतो के बाद राज्य में बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनाव आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न होंगे। लेकिन इस बात की आशंका भी है कि इस मतदान के दौरान हिंसा व खून खराबे से इंकार नहीं किया जा सकता है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में आज होने वाला पंचायत चुनाव अंतिम बड़ा चुनाव है। मतदान सुबह सात बजे शुरू होगा और शाम पांच बजे समाप्त होगा। मतगणना 17 मई को की जायेगी। बता दें कि जितना सम्भव हो सका है सुरक्षा के लिहाज से राज्य के तमाम जगहों पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने आज फ्लैग मार्च किया । ज्ञात हो कि एक चरण में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए तीव्र प्रचार अभियान हुआ था। चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान हुई हिंसा को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस , भाजपा , कांग्रेस और वाममोर्चा के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप लगाया था। सोमवार यानी आज होने वाले पंचायत चुनाव के लिये चुनाव प्रचार भी खत्म हो गया। राज्य निर्वाचन आयोग ( एसईसी ) के अनुसार पंचायत चुनाव 621 जिला परिषदों और 6157 पंचायत समितियों के अलावा 20 जिलों की 31,827 ग्राम पंचायतों में होगा। एसईसी ने बताया कि मतदान सुबह सात बजे से शुरू होगा और शाम पांच बजे खत्म हो जायेगा। मतगणना 17 मई को होगी। राज्य में चुनाव प्रचार अभियान काफी कड़वाहट भरा रहा। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा , कांग्रेस और वाम दलों के बीच तीखी झड़प और जमकर मुकदमेबाजी भी देखी गयी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि चुनावों के लिये नामांकन प्रक्रिया के दौरान सत्तारूढ़ तृणमूल का आतंक का शासन उजागर हुआ।बहरहाल तृणमूल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और आरोप लगाया कि विपक्ष का जनाधार नहीं है और वह चुनाव से बचना चाहता है। पंचायत चुनाव प्रचार अभियान में सभी दलों के बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किए , लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी चुनाव प्रचार से दूर रहीं। हालांकि उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे उनकी सरकार द्वारा शुरू किये गये विकासकार्य के पक्ष में मतदान करें। चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये है और असम, ओडिशा, सिक्किम और आंध्र प्रदेश से लगभग 1,500 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। सुरक्षा बलों ने सुरक्षा प्रबंधों के तहत राज्य के विभिन्न भागों में आज मार्च निकाला। इस बार पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग , राज्य सरकार, सत्तारूढ़ टीएमसी और विपक्षी भाजपा, कांग्रेस तथा वाममोर्चा के बीच एक अभूतपूर्व कानूनी लड़ाई देखने को मिली। बंगाल में पंचायत व्यवस्था 1978 में शुरू हुई थी ।तब से वर्ष 2013 तक के तमाम चुनाव नतीजों को जोड़ कर देखें तो 23 फ़ीसदी से कुछ ज़्यादा उम्मीदवार ही निर्विरोध चुने गए थे, लेकिन अकेले इस बार यह आंकड़ा 34 फ़ीसदी के पार चला गया है।राज्य में पहले एक, तीन व पांच मई को तीन चरणों में चुनाव होने थे, लेकिन नामांकन प्रक्रिया के दौरान तृणमूल कार्यकर्ताओं की ओर से कथित रूप से बड़े पैमाने पर हिंसा के आरोप में विपक्ष ने कलकत्ता हाईकोर्ट की शरण ली।सुनवाई लंबी खिंचने के बाद अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को नामांकन का समय एक दिन बढ़ाने और मतदान की नई तारीखों का एलान करने का निर्देश दिया। उसके बाद ही आयोग ने ममता बनर्जी सरकार की सलाह पर 14 मई को एक ही दिन मतदान कराने का फ़ैसला किया।विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए चुनावों के दौरान सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।

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