भीड़ के लिये छावनी व अस्थायी बांस के बैरीकेड की व्यवस्था

रविवार तड़के 3.41 से बांग्ला नव वर्ष आरम्भ 

जगदीश यादव 
कोलकाता। हर उत्सव को मनाने के लिये आतुर बंगाल में आज यानी पोयला बैशाख की पूर्व संध्या पर जहां लोगों की व्यस्तता चरम पर रही वहीं महानगर कोलकाता में इस दिन तो जैसे लोगों की बाढ़ सी आ गयी थी। जहां देखो वहां लोगों का रेला। न्यु मार्केट हो या पिर गरीयाहाट व कालीघाट अंचल। हर ओर लोगों की भीड़ खरीदारी के लिये भागती नजर आयी। ऐसे में भला कोलकाता की काली मईया की बात को कैसे परे रखा जा सकता है। कालीघाट मंदिर में भी व्यवस्था को अंजाम देने के लिये कर्मियों को अपने अपने कामों में व्यस्त देका गया। मंदिर परिसर के पास ही व्यापक जगह को लेकर छावनी व अस्थायी बांस के बैरीकेड का काम पूरा हो चुका था। रंगीन प्रकाश सज्जा को बी अंजाम दिया जा चुका था।छावनी व अस्थायी बांस के बैरीकेड इस लिये लगाये जाते है क्यो कि पोयला बैशाख के दिन यहां तड़के से ही माता के भक्तों का तांता लगना शुरु हो जाता है। लोग यहां आकर मां के दर्शन कर खाता बही आदि का पूजन भी करवाते हैं। ऐसे में आज से ही सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद कर दिये गये हैं। नव वर्ष की पूर्व संध्या के बाद देर रात कालीघाट मेंदिर में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आती है और माता का पूजन करती है। इसके बाद ही सीेएम ममता पोयला बैशाख पर अन्य कार्यक्रमों को अंजाम देती हैं। कालीघाट में पंडित संजीब दुबे ने बताया कि देर शनिवार की देर रात के बात 3.41 से बांग्ला नव वर्ष 1425 आरम्भ होगा। जबकि अमवस्य़ा रविवार की सुबह 7.40 से शुरु होकर अगले दिन सुबह के 7.08 पर समाप्त होगा। पंडित संजीब दुबे ने बताया कि, वैसे पोयला बैशाख के पर माता के भक्त सारा दिन पूजन कर सकते हैं। इस दिन राज्य के निवासियों द्वारा भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दौरान अच्छी बारिश के लिए बादलों की पूजा की जाती है। इस दिन लोग कोशिश करते हैं कि उनके ऊपर कोई कर्ज ना रहे। व्यापारी लोग इस दिन नया बहीखाता बनाते हैं जिसे हालखाता के नाम से जाना जाता है। पूजा के बाद ही इसमें हिसाब लिखना शुरू होता है। पूजा के दौरान पंडित मंत्र पढ़ते हैं और हालखाता पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं।
Spread the love
  • 6
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    6
    Shares
  •  
    6
    Shares
  • 6
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •