गांधी, सुभाष व भगत के इस चमन को किसकी नजर लगी ?

कोलकाता। राज्य के रानीगंज सहित कांदी व अब उत्तर चौबीस परगना के काकीनाडा़ में भड़की हिंसा ने जहां मानवता को इस राज्य में तार तार किया है वहीं हिंसक भीड़ ने एक बार फिर साबित किया कि दहशतगर्दों का कोई कौम व मजहब नहीं होता है। सच कहें तो नफरत के सौदागरों ने अमन पसंद इस राज्य के उत्तर चौबीस परगना के काकीनाडा़ की धरती पर नफरत का जो रुप दिखाया है इससे से भारत माता की आंख जरुर नम हुई होगी। भड़की हिंसा के बाद आज उपद्रवियों ने स्‍वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की प्रतिमा भी तोड़ दी। रिपोर्ट के मुताबिक दो गुटो के बीच भड़की हिंसा में अब तक दो लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी है और पचास से ज्यादा लोग हिंसा में घायल हो गए है। बता दें कि पूर्वोत्‍तर राज्‍य त्रिपुरा में भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव में अप्रत्‍याशित जीत हासिल करने के बाद साम्‍यवादी नेता लेनिन की मूर्ति तोड़ दी गई थी। इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं के शामिल होने की बात कही गई थी। इसके बाद तमिलनाडु में पेरियार, बंगाल में ही श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी, केरल में महात्‍मा गांधी और उत्‍तर प्रदेश में डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों को या तो तोड़ डाला गया था या फिर उसे क्षतिग्रस्‍त कर दिया गया था। मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को लाल रंग से पोतने की घटना सामने आई थी। तमिलनाडु में भाजपा के एक नेता ने सोशल मीडिया पर पोस्‍ट डालकर पेरियार की मूर्ति तोड़ने की बात कही थी, जिसके बाद उनकी प्रतिमा को नुकसान पहुंचा गया था।बहहाल पता नहीं गांधी, सुभाष व भगत के इस चमन को किसी नजर लग गई है।

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