कोलकाता। पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर आया चक्रवाती तूफान रोआनु गुरुवार को 11.30 बजे मछलीपत्तनम से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व, विशाखापत्तनम के 290 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम तथा काकीनाडा के 160 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में अक्षांश 15.6º एन और देशांतर 81.6 ºई में केंद्रित था। अगले 12 घंटों में चक्रवाती तूफान उत्तर-उत्तर पूर्व दिशा और आंध्र प्रदेश तट की ओर बढ़ सकता है। उसके बाद इसकी दिशा उत्तर पूर्व हो सकती है। आज रात तक तेज चक्रवाती तूफान आएगा। उत्तर पूर्व में बढ़ते हुए यह 21 मई की रात तथा 22 मई को तड़के खेपुपारा तथा कॉक्स बाजार के बीच दक्षिण बंगलादेश तट से गुजरेगा।अगले 24 घंटों में आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में अधिकतर स्थानों पर वर्षा होगी। कुछ स्थानों पर भारी वर्षा और कुछ स्थानों पर छिटपुट बारिश हो सकती है। उसके 24 घंटे बाद कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। अगले 24 घंटों में आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में अधिकतर स्थानों पर वर्षा होगी। कुछ स्थानों पर भारी वर्षा और कुछ स्थानों पर छिटपुट बारिश हो सकती है। उसके 24 घंटे बाद कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। तेलंगाना और रॉयलसीमा में अगले 24 घंटों में अधिकतर स्थानों पर बारिश होगी। अगले 24 घंटों में उत्तर आंध्र प्रदेश के तटों पर 90-100 से 110 की रफ्तार से हवा चलेगी। अगले 36 घंटों में 100-110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। अगले 48 घंटों में आंध्र प्रदेश में और आज रात से ओडिशा के दक्षिण तटीय क्षेत्रों में फूस की झोपड़ियों, बिजली संचार लाइनों को नुकसान होने तथा कच्ची सड़कों, हल्के रूप से क्षतिग्रस्त सड़कों और पक्की सड़कों को नुकसान हो सकता है। मछुआरों को सलाह दी जाती है कि वे अगले 48 घंटों में आंध्र प्रदेश के तट, उत्तर तमिलनाडु  के तट से समुद्र में न जाएं। ओडिशा के तटवर्ती इलाकों में आज रात से मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी जाती है।

                                                        पूर्वानुमान ट्रैक और चक्रवात की तीव्रता

तिथि/समय(आईएसटी) स्थिति

(अक्षांश °N/देशांतर. °E)

हवा की अधिकतम गति (केएमपीएच)  चक्रवाती गड़बड़ी की श्रेणी

 

19-05-2016/1130 15.6/81.6 70-80 से 90 चक्रवाती तूफान
19-05-2016/1730 16.1/82.2 90-100 से 110 गंभीर चक्रवाती तूफान
19-05-2016/2330 16.5/82.8 95-105 से 120 गंभीर चक्रवाती तूफान
20-05-2016/0530 16.9/83.2 95-105 से 120 गंभीर चक्रवाती तूफान
20-05-2016/1130 17.5/84.0 90-100 से 110 गंभीर चक्रवाती तूफान
20-05-2016/2330 18.7/85.9 70-80 से 90 चक्रवाती तूफान
21-05-2016/1130 20.1/88.5 70-80 से 90 चक्रवाती तूफान
21-05-2016/2330 21.6/91.4 70-80 से 90 चक्रवाती तूफान
22-05-2016/1130 23.4/94.8 50-60 से 70 गंभीर दबाव

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यूं कहें कि उन्होंने एकबार फिर वाममोर्चा को उसकी औकात दिखा दी है। साथ ही लगे हाथ कांग्रेस को भी यह बता दिया की बंगाल में कांग्रेस चाहे जो भी पैंतरे बदले लेकिन आखिरी बात उन्हें ही कहना है। राज्य में तृणमूल की दोबारा जीत यह भी साबित करती है कि ममता दीदी की मां, माटी व मानुष की लाईन गलत नहीं बल्कि दुसरों के लिये मार्ग दर्शन का रास्ता हो सकता है। सच कहें तो अग्नि कन्या कहे जाने वाली ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा सिर्फ पास ही नहीं किया बरन बंगाल में उन्होंने खुद को अव्वल साबित कर दिया है। ममता पर जनता के भरोसे का सच इससे पता चलता है कि सारधा घोटाले, नारदा सह फ्लाईओवर हादसा भी गौण रहा।  तमाम आरोप-प्रत्यारोपों को मददाताओं ने अपने तराजू पर तोल कर दरकिनार कर दिया। सबसे खास बात यह रही कि तृणमूल सुप्रीमों पर से लोगों का बिश्वास उठाने की  विरोधियों की तमाम कोशिशें नाकाम ही रही। वहीं अल्पसंख्यकों के ममता प्रेम में कहीं से भी कोई कमी नहीं आई। वह दीदी के काफी करीब थें और हैं यह तो सबको पता चल ही गया होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि राज्य में इनकी उल्लेखनीय संख्या पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। भले ही ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाये जाएं लेकिन उन्होंने अल्पसंख्यकों अपने से ठीक बांधे रखा। वैसे कुछ लोगों का मानना है कि भले ही राजनीति  संक्रमण काल से गुजर रही है और उसमें पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को अगर एक कसौटी की तरह देखें तो यह अतिरंजना नहीं होगी। ममता अबतक जनता की कसौटी पर खरी ही उतरी हैं। दरअसल, जिस तरह पिछले साढ़े तीन दशक से देश में पश्चिम बंगाल वाम राजनीति का गढ़ माना जाता रहा है। इस लाल गढ़ को तृणमूल सुप्रीमों ने अपनी एक खास तस्वीर के बल पर पांच वर्ष पहले ही हिला दिया था। ममता ने अब पांच साल के बाद वाममोर्चा के इस गढ़ को इस कदर कमजोर कर दिया जिसे सम्भालना अब वामपंथियों के लिये दुरुह ही है। विशेष कर वाममोर्चा के बुढ़े और बासी हो चुके चेहरों में पांच वर्ष के बाद इतना दम भी नहीं होगा कि वह लोग ममता के पोरबर्तन के किले का दरवाजा भी अपने बल पर खोल सकें। सब जानते हैं पांच साल पहले सत्ता से बाहर होने के बाद वामदलों ने सत्ता में आने के लिये अपना पूरा जोर लगा दिया था।  यहां तक कि कांग्रेस से समझौता करना भी उनके लिए कोई परेशानी का कारण नहीं बना। अगर बात करें विकास की तो कभी ऐसा भी समय था जब कोलकाता में फुटपाथ रौशनी के लिये तरसते थें। लेकिन अब कदम रखते ही शहर के दोनों तरफ के खंभों से लिपटी नीली और सफेद रंग की  प्रकाश सज्जा व गली मोहल्ले में लगी लाईटें विकास की कहानी बिना किसी से पूछे ही संकेत में कह देती है। यही नहीं शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर जंगल महल में माओवाद दमन का रास्ता। हर मामले में मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी की रणनीति कामयाब रही। उद्योग-धंधे के लिये भी उन्होंने तमाम कोशिशे की और कर रही । हो सकता है कि उक्त मामले पर उन्हें देर से उल्लेखनिय कामयाबी मिले ।  लेकिन कामयाबी उसे ही मिलती है जो काम करता है।

पश्चिम बंगाल में तमाम आरोपों और टकराव के बीच कामयाबी से ममता बनर्जी का एक कार्यकाल पूरा हो चुका है।  वह दुसरे कार्यकाल के पूरी उर्जा के साथ तैयार हैं। सबकों मालूम है कि ममता बनर्जी के पांच साल के सफर का रास्ता फूलों पर चलने के जैसा नहीं था। बल्कि उनके उपर वाम, कांग्रेस व भाजपा ने तीन तरफा हमले किये। कथित घोटालों को लेकर उनकी आलोचना की गई तो उनके खुद के ईमानदारी पर सवाल दागें गये। कभी सारधा तो कभी पेंटिंग तो कभी नारदा के स्टींग को लेकर ।  बहरहाल, चुनावी हिसाब-किताब के लिहाज से देखें तो बिहार,उत्तर प्रदेश सह झारखंड से आए लोगों की कोलकाता में भरमार है। लोग हिंदी भी यहां धड़ल्ले से बात करते हैं तो भोजपुरिया रंग भी यहां जमता है। गंगाघाटों में छठ पूजा के समय ममता दीदी की उपस्थिती से भोजपुरिया समाज को समसामयिक रुप से यह नहीं लगता है कि वह अपने परिवेश से अलग हैं या उनकी अनदेखी की गई है। यहीं कारण है कि दीदी ने हिंदी सह भोजपुरिया समाज को भी अपने से बांधे रखा।  जिस बंगाल में हमेशा चुनावी हिंसा में लोगों की मौत होती रही हो और रिगिंग के लिये जो बंगाल बदनाम रहा हो, उक्त राज्य में इस बार का चुनाव अभूतपूर्व कहा जा सकता है। अभूतपूर्व चुनाव इस अर्थ में क्यों कि जिस स्तर पर सुरक्षा के मध्य मतदान हुए वैसा यहां कभी नहीं हुआ। कहीं से भी यह आरोप लगाना कि सत्तापक्ष ने गड़बड़ी व धांधली से फिर सत्ता पाया है, यह आरोप एकदम से ओछा ही होगा। विरोधी ममता बनर्जी का विरोध अब इसलिये नहीं करें कि वह सिर्फ विरोधी है और उनका काम विरोध करना है। कारण वाम-कांग्रेस को तृणमूल ने आकड़ों में भी इस लायक नहीं छोड़ा है कि यह गठबंधन कुछ कह सके, कुछ कर सके। (लेखक अभय बंग पत्रिका व अभय टीवी डॉट कम के सम्पादक हैं)

 

Spread the love
  • 5
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    5
    Shares
  •  
    5
    Shares
  • 5
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •