वैसे पेशे से वरीय पत्रकार आफरीन हक समाचारोें की दुनिया में जीती हैं, लेकिन उनका मन किसी और दुनिया में भी कुलाचें मारता है। साहित्य को समझने की जो कुबत इनमे है इससे ज्यादा वह रंगों की भाषा समझती हैं- साहित्य सम्पादक

आफरीन हक

रंगो से खेला जाता है,

रंगों को झेला जाता।

हर रंग से भरी है दुनिया,

रंगों का बाजार लगा।

               किस रंग से तू बच पाएगा,

               हर रंग यहां पर रंगीला।

              हर रंग की अपनी कहानी है,

              तू किस रंग में घुल जाएगा।

 किस रंग से धोया जाएगा,

 किस रंग में समाएगा।

 रंगों का अपना मिजाज है ‘आफरीन’

 यह तो वक्त ही बताएगा।

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