कोलकाता। पूर्वोत्तर राज्यों के साथ राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एनडब्ल्यू-1) को जोड़ने के प्रयास के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच अगले महीने अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल (पीआईडब्ल्यूटीटी) को लेकर प्रस्तावित एक उच्चस्तरीय बैठक होने की संभावना है।दोनों देशों ने पड़ोसी देशों के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन प्रोटोकॉल मार्ग में सुधार करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू की है, ताकि पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ने के लिए भारत गंगा नदी पर (वाराणसी से हल्दिया) राष्ट्रीय जलमार्ग-1 से जुड़ सके। दोनों देश अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार प्रोटोकॉल के विस्तार पर सहमत हो गए हैं, जिस पर 1972 में हस्ताक्षर हुआ था और पीआईडब्ल्यूटीटी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के प्रभावी होते ही इस मार्ग का इस्तेमाल करने वाले व्यापार में वृद्धि देखने को मिलेगा।भारत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के उपाध्यक्ष प्रवीर पांडे ने कहा, “अगले महीने एक बैठक होने की संभावना है। इसमें कोई बाधा नहीं है। मानक संचालन प्रक्रिया तय होनी है और बैठक इसे पूरा करने की कोशिश करेगा।”इस मार्ग के खुलने से हल्दिया से बांग्लादेश के लिए व्यापार करना आसान हो जाएगा। आईडब्ल्यूएआई के अधिकारियों के मुताबिक, प्रोटोकॉल मार्ग में ढाका की ओर से कोई समस्या नहीं है, बल्कि समस्या ब्रह्मपुत्र नदी के हिस्से में है और इसके नौपरिवहन में सुधार के लिए निकर्षण (ड्रेजिंग) की आवश्यकता होगी। प्रोटोकॉल जलमार्ग में 3,500 करोड़ रुपये की निकर्षण परियोजना शुरू की गई है और भारत और बांग्लादेश के बीच इसकी लागत 80:20 के आधार पर साझा किया जाएगा।नरेंद्र मोदी सरकार विश्व बैंक की सहायता से जल मार्ग विकास परियोजना के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग-1 विकसित कर रही है। परियोजना के अनुमानित लागत को 4,200 करोड़ रुपये के शुरुआती अनुमान से बढ़ाकर 5,369 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

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