चला रही हैं क्षेत्रीय पार्टियों को एक मंच पर लाने की मुहिम

कोलकाता। पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव परिणाम आने के बाद जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहती हैं। तीनों राज्याें में भाजपा की सरकार बनने के बाद ममता लगातार क्षेत्रिय पार्टियों से एकता की मांग कर रही है। भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए विपक्षी पार्टियों के बीच एकता का कायम करने का ममता का प्रयास जारी है। इसको लेकर तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने डीएमके के कार्यवाहक अध्यक्ष एम के स्टालिन से संसद और संसद के बाहर तालमेल स्थापित करने के लिए बात की है।तृणमूल के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए ममता बनर्जी अलग-अलग पार्टियों से बात कर रही हैं और हम सही रास्ते पर हैं। टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव से बात करने के बाद ममता ने स्टालिन से फोन पर बातचीत की। साथ ही डेरेक ने बताया कि टीआरएस, टीडीपी, एसपी, बीएसपी, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके के बीच संसद में अलग-अलग मुद्दों को लेकर ‘अच्छा तालमेल’ है।बता दें कि उनका यह बयान ममता बनर्जी की ओर से त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव परिणाम आने के बाद क्षेत्रीय पार्टियों से एकता की मांग करने के बाद आया है। एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि ममता बनर्जी पार्टियों को एक जुट करने पर जो काम कर रही हैं उससे कांग्रेस को ‘अलग’ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे से भी बात की है। दोनों नेता एक-दूसरे के संपर्क में हैं।गौरतलब है कि त्रिपुरा में भाजपा की जीत के बाद ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ गर्इ हैं। त्रिपुरा में बना चुनावी महौल पश्चिम बंगाल पर असर डालेगा। पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि त्रिपुरा के बाद हमारा अगला फोकस पश्चिम बंगाल है। इसके बाद ममता ने कहा था कि भाजपा का बंगाल में सरकार बनाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। उन्होंने अपने एक बयान में भाजपा को तिलचट्टा बताया था आैर कहा था कि  वह पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रही है जो कि कभी पूरा नहीं हो सकता। लेकिन अब ममता भाजपा का हराने के लिए क्षेत्रिय पार्टियों को एकजुट करने में लगी हैं।
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