बंगाल माकपा में नए चेहरों को शामिल करने की कवायद शुरु

60 से 80 वर्ष के 70 फीसदी नेता हुए दरकिनार

कोलकाता। राज्य माकपा में बुढ़ों की फौज में शामिल लोग अब थोक में अवकाश लेने के लिये मजबूर किये जाएगें। कारण माकपा बंगाल की राजनीति में अपना महत्व खोती जा रही है। ऐसे में माकपा ने बुजुर्ग नेताओं को हटाने और नए चेहरों को शामिल करने का फैसला किया है। इसकी कवायद भी शुरु हो गयी है। यानी माकपा व्यापक स्तर पर यहां संगठन में बदलाव करने जा रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने यह जानकारी दी। हालत यह है कि पार्टी को स्थानीय चुनाव में जीत के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। माकपा ने राज्य के23 जिलों में300 से अधिक संख्या में युवा चेहरों को शामिल किया है जबकि60 से80 वर्ष आयु के70 फीसदी नेताओं को हटा दिया है। नेतृत्व को भरोसा है कि यह अभियान सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मजबूत पकड़ बनाती जा रही भाजपा के खिलाफ लड़ाई में उसे मदद देगा। माकपा के राज्य सचिवसूर्य कांत मिश्रा ने कहा, ‘राज्य नेतृत्व में क्षेत्रीय समिति से लेकर सभी स्तरों पर जो सदस्य होंगे उनकी औसत आयु नीचे लाई जाएगी।’ माकपा का नेतृत्व75 वर्ष से अधिक आयु के नेताओं को राज्य समिति, राज्य सचिवालय और विभिन्न जिला समितियों से हटा सकता है। इस मामले में माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य बिमान बोस और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य अपवाद हो सकते हैं। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक भट्टाचार्य ने अपनी गिरती सेहत का हवाला देते हुए राज्य समिति से हटने की इच्छा जताई है। उक्त सन्दर्भ में कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य देर से ही सही लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री स्व. ज्योति बसु की राह पर हैं। वह जानते हैं कि जबरन बेदखल होने से अच्छा है कि सम्मान के साथ जगह खाली करें। बहरहाल देखना है कि आगे क्या होता है।
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