गंगा में फेंके गये गैस सिलिण्डर से अब पर्यावरण को भी खतरा

हावड़ा। कूड़े में बेचने के लिए 20 किलो के एक सिलिंडर को नष्ट करना यहां लोगों पर भारी पड़ा। हावड़ा के मालीपांचघड़ा में 46 कर्मचारियों और स्थानीय लोगों सहित कुल 70 बीमार हों गये थें। इस हादसे के बाद खतरनाक क्लोरीन गैस में सांस ली और उन्हें अस्पताल पहुंचाना पड़ा। यह हादसा एशिया के सबसे बड़े बजरंगबली स्क्रैप आयरन मार्केट में हुआ। तीन अस्पतालों के डॉक्टरों ने बताया कि मरीजों को अब ऑक्सीजन सपॉर्ट पर रखा गया है और 17 गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती हैं। इसके बाद सिलिंडर को गंगा नदी में फेंक दिया गया और इसने स्थिति को पर्यावरण के लिए और भी खतरनाक बना दिया।
बाजार में काम करने वालों को क्लोरीन से बचाने के लिए टूटे सिलिंडर को बचावकर्मियों ने गंगा में फेंक दिया। इसके तुरंत बाद पानी और जलकुम्भी का रंग बदलने लगा। 2011 में एन्डोसल्फान कीटनाशक जलपाईगुड़ी में कोरोला नदी में फेंक दिया गया था। उसके बाद नदी के तल पर मछलियां उतराती दिखी थीं। इस घटना को याद करते हुए पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने कहा, ‘गंगा में टूटा सिलिंडर किसने फेंका? यह एक आपराधिक कृत्य है। किसी भी जलसंग्रह में रसायनों को फेंकना प्रतिबंधित है। हमने सुना है, हम पानी के नमूने एकत्र करेंगे।’ आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री जावेद अहमद खान ने कहा, ‘अग्निशमन विभाग में आग की घटनाएं और गैस के रिसाव की घटनाएं छुपाई जाती हैं। वह बता सकते हैं कि उन्होंने क्या किया है।’अग्नि सेवा के हावड़ा डिवीजनल अधिकारी प्रशांत भावमिक ने कहा, ‘हम इस मामले की जांच करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि हमारे पास ऐसी बड़ी घटनाओं का सामना करने के लिए सुविधाएं कम हैं। स्थानीय लोग पूछते हैं कि सुरक्षात्मक उपाय क्यों नहीं किया क्लोरीन में सांस लेने के बाद कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं इसलिए पर्यावरण विशेषज्ञों को चिंता है कि इसके गंगा के पानी में मिलने पर क्या असर होगा। कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रबीन मजूमदार ने कहा, ‘क्लोरीन की भारी मात्रा में श्वांस लेने के बाद भी लोग मर सकते हैं।’ पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्ता ने कहा, ‘क्या चल रहा है? क्या हम गंगा को कुछ भी फेंक सकते हैं? आपदा प्रबंधन विभाग को स्पष्टीकरण देना होगा।’

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