धरा न रह जाये बंगाल बीजेपी के ‘चाणक्य’ बनने का सपना

कोलकाता। राज्य की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल राय के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि इसके बाद टीएमसी को काफी बड़ा झटका लगेगा। माना जा रहा था कि मुकुल राय भारतीय जनता पार्टी के लिए पश्चिम बंगाल में चाणक्य साबित होंगे, लेकिन जिस तरह से यहां उपचुानव के नतीजे आए हैं उसने पार्टी की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया है। पार्टी को लोकसभा की एक सीट व विधानसभा की एक सीट पर हुए उपचुनाव में टीएमसी की जीत ने ना सिर्फ भाजपा बल्कि मुकुल राय की व्यक्तिगत छवि को भी बड़ा झटका दिया है। टीएमसी में रहने के दौरान वह दो बार पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभा चुके थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक रणनीति पर सवाल खड़ा गया है।नोआपारा जहां खुद मुकुल राय रहते हैं यहां हुए उपचुनाव में भाजपा मुश्किल से दूसरा स्थान हासिल कर सकी और सीपीआईएम से कुछ अधिक ही वोट हासिल कर सकी। टीएमसी के सुनील सिंह ने यहां जबरदस्त जीत हासिल की और कुल 111729 वोट हासिल किए, जबकि भाजपा के उम्मीदवार संदीप बनर्जी 38711 वोट ही हासिल हुए। वहीं अगर सीपीएम के गार्गी चटर्जी को 35497 वोट हासिल हुए। ऐसे में मुकुल राय की व्यक्तिगत छवि को इस उपचुनाव के नतीजों ने दिया है। यहां कांग्रेस और सीपीएम के बीच गठबंधन नहीं हुआ बावजूद इसके भाजपा यहां कुछ खास नहीं कर सकी। गौर करने वाली बात यह है कि 2017 में दोनों के गठबंधन के चलते कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी।आंकड़ों पर नजर डालें तो लेफ्ट और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने के बाद टीएमसी को यहां सबसे अधिक फायदा मिला है। उलूबेरिया में टीएमसी सांसद सुल्तान अहमद की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जबरदस्त जीत दर्ज की। उन्होंने यहां 4.75 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता, जबकि भाजपा के अनुपम मलिक दूसरे स्थान पर रहे। अनुपम मलिक भाजपा की ग्रामीण इलाके के हावड़ा जिलाध्यक्ष हैं और काफी लोकप्रिय प्रचारक हैं। यहां भी मुकुल राय के हाथ विफलता लगी। मुकुल राय ने यहां भी भाजपा के लिए चुनाव प्रचार किया, लेकिन यहां भी पार्टी की स्थिति काफी खराब रही। हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष इस हार के बाद भी मानते हैं कि इस चुनाव के बाद भाजपा मुख्य विपक्षी दल बनने में सफल हुई है। उन्होंने कहा कि हमने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल किया है और हमारे वोट फीसदी में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने टीएमसी पर आरोप लगाया कि उसने चुनाव का ध्रुवीकरण किया, उलूबेरिया में 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है, जिसकी वजह से ध्रुवीकरण करने में टीएमसी सफल हुई और नतीजे उसके पक्ष में गए।वहीं जब नोआपारा से टीएमसी नेता सुनील सिंह से जब पूछा गया कि क्या इस चुनाव में मुकुल राय का असर था, तो उन्होंने कहा कि उनको लेकर बहुत ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बात की गई थी, लेकिन नतीजे आपके सामने हैं, वह कुछ खास करने में विफल रहे। इससे पहले मुकुल राय ने टीएमसी नेता मंजू बसु को इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार करने की कोशिश की थी, लेकिन उनके हाथ विफलता लगी थी। वहीं चुनाव नतीजे आने के बाद से मुकुल राय ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बहरहाल उनके लिए अगली सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्या वह आने वाले पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित होते हैं या एक बार फिर से उनके हाथ विफलता लगती है।

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