बेलदा का ओसी प्रदीप रथ गिरफ्तार
ओसी के निवास ने 16 किलों सोना व लाखो रुपये जब्त

Bharati-Pradip_webकोलकाता/मेदनीपुर। पूर्व आइपीएस अधिकारी भारती घोष सहित कई वरीय पुलिस अधिकारियों के घरों व उनके रिश्तेदारों के घर में सीआईडी ने छापेमारी को अंजाम दिया है।आज सुबह से ही कोलकाता स्थित नाकतला व पं. मेदनीपुर के बेलदा स्थित भारती घोष के निवास पर सीआइडी ने छापे मारे। वहीं सीआइडी ने भारती घोष के करीबी माने जाने वाले बेलदा थाने के ओसी प्रदीप रथ के घर से 16 किलो सोना व लाखों रुपये नकद जब्त कर उन्हें गिरफ्तार भी किया है। सीआइडी ने मोहनपुर थाने के ओसी, राज शेखर पाइन, कोश्यारी थाने के ओसी चित्तो पाल, व गड़वेता थाने के ओसी हीरक बिस्वास के निवास पर भी छापे मारी की है। सूत्रों से मिली जानकारी में बताया जा रहा है कि एक स्वर्ण व्यवसायी की शिकायत पर ही भारती घोष सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के निवासों पर उक्त अभियान को अंजाम दिया गया। लेकिन पुलिस के ही एक वर्ग ने गोपनियता की शर्त पर उक्त मामले को राजनीतिक बदला भी माना जा रहा है।लेकिन अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि काफी दिनों से भारती व उनके करीबी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें मिल रही थी।ऐसे में ठोस प्रमाण मिलने के बाद छापेमारी की गयी। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 25 दिसम्बर को जब भारती घोष को नके तबादले के बारे में बताया गया था ठीक इसके दुसरे दिन ही उन्होंने नियमों को रौंदते हुए 86 कांस्टेबलों को इच्छानुसार तबादला किया था। मेदिनीपुर जिले की पूर्व पुलिस अधीक्षक भारती घोष के चहेते अधिकारियों में खास कर थाना प्रभारियों पर सीआइडी की गाज गिरनी शुरू हो गई है। अवैध उगाही सहित अन्य आरोपों को लेकर गुरुवार की रात से सीआइडी द्वारा शुरू किए गए अभियान के तहत बेलदा के थाना प्रभारी प्रदीप रथ को गिरफ्तारी हुई है। जबकि मोहनपुर के ओसी राजशेखर पाइन और फिलहाल पुलिस लाइन में पदास्थापित गड़वेत्ता थाने के पूर्व प्रभारी हीरक विश्वास के घर पर छापेमारी की गई।
बता दें कि आइपीएस भारती घोष ने बैरकपुर स्थित सैप तृतीय बटालियन में कम महत्वपूर्ण पद पर तबादले से नाराज होकर पिछले महीने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। राज्य सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया। इस बीच चर्चा उनके राजनीति में जाने की भी रही। लगातार आठ साल तक जंगल महल के पश्चिम मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिलों में पदास्थापित रहीं भारती घोष कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की काफी करीबी मानी जाती थीं, लेकिन सबंग उपचुनाव के बाद ही उनके संबंध मुख्यमंत्री से बिगड़ गए और चुनाव परिणाम के दूसरे ही दिन उनका तबादला कम महत्वपूर्ण पद पर कर दिया गया। इसी के बाद घोष ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अपने कार्यकाल के दौरान भारती घोष राजनीति में सीधी दखलंदाजी के लिए काफी विवादों में रहीं। उन पर विरोधी दलों के नेताओं को डराने-धमकाने और फर्जी मामलों में फंसाने के आरोप भी लगते रहे। (पूरी खबर का इंतजार)

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