परेशान मीडिल वर्ग ने पूछे सवाल

जगदीश यादव

कोलकाता। बजट में आयकर छूट सीमा में बढ़ोतरी और कर स्लैब में बदलाव की आस लगाये वेतनभोगियों और मध्य वर्ग के लोगों को आज निराशा हाथ लगी, अलबत्ता बुजुर्गों के लिए कई रियायतों की घोषणा की गई है। ऐसे में महानगर कोलकाता में तो किसान है ही नहीं लेकिन यहां रहने वाले मध्यम वर्ग के लोग जरुर निराशा के भवंर में डुबते रहें। वजट पर अपनी प्रतिक्रिया में तमाम मध्यम वर्ग के लोगों के साथ मनोज चक्रवर्ती ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में आयकर छूट की सीमा और स्लैब में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया लेकिन वेतनभोगियों की वर्तमान कर योग्य आय में से 40 हजार रुपए की मानक रियायत दी है तो परिवहन भत्ते और विविध चिकित्सीय खर्च पर दी जाने वाली छूट को वापस ले लिया गया है। इससे तो हमारी बेहाली कम नहीं होने वाली है। वहीं उक्त मामले पर नरगीस बानो ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सैलरीड क्लास को राहत देने के नाम पर 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का ऐलान तो कर दिया दूसरी तरफ ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा छीन ली है। अभी 15 हजार रुपये तक के मेडिकल बिल और 19,200 रुपये तक के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट की सुविधा मिलती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है मध्यम वर्ग को परेशानी से निजात नहीं मिलना है। गृहणी शमा परवीन ने कहा कि अजीब भूल भूलैया का खेल वाला वजट है। वैसे इस बजट को चुनावी वजट कहा जाये तो बहुत ज्यादा नहीं होगा। कारण मोदी सरकार के खिलाफ किसान लगातार लामबध हों रहें थें। ऐसे में गांव की ओर रुख करना तो मजबूरी है। किसानों को राहत नहीं दी जाती तो आने वाले समय में हमारे अन्नदाता सरकार के एकदम खिलाफ हो सकते थें। हसन नकवी ने कहा कि, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 2 रुपए कम कर दी। लेकिन 8% रोड सेस लगा दिया। लेकिन इसे लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। कहा जा रहा कि एक्साइज ड्यूटी कम करके इसे सेस में कन्वर्ट कर दिया गया है। लेकिन, इसका फायदा सीधा कस्टमर्स को नहीं मिलेगा। यानी हम फिर वहीं आकर खड़े हो गये जहां पहले थें। लगता है कि मध्यम वर्ग के लोगों की कोई सुनने वाला ही नही है। राकेश जैसवारा ने कहा कि, उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी ताकि मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों को फायदा हो, लेकिन स्लैब को बरकरार रखा गया। इससे देश के करोड़ो इंडीविजुअल टैक्स पेयर्स को निराशा हुई। जैसवरा ने कहा कि मध्यम वर्ग से लेकर निम्न वर्ग भी आमतौर पर टीवी, मोबाइल फोन से लेकर फ्रूट जूस, परफ्यूम, जूते-चप्पल, चांदी – सोना, सब्जियां, सनस्क्रीन, फर्नीचर, गद्दे, लैंप, हाथ और पॉकेट घड़ियां, ट्राइसाइकिल, स्कूटर, पेडल कार, पहिये वाले खिलौने का उपयोग करता है जो कि महंगे हुए। ऐसे में कोई हमे बताये की कहां राहत मिली है।

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