गंगा सागर की धरती पर सौ साल से भागीरथ सेवा

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जगदीश यादव     

कोलकाता। exclusiveकहते हैं कि मानव सेवा परम धर्म । इस कहावत को कोलकाता महानगर की प्राचीन स्वंय सेवी संस्था चरितार्थ कर रही है। जी हां सेवा के संसार में जात पात रंग भेद की सीमाएं गौड़ हो जाती । हमारे ऋषि मुनियों ने भी मानव सेवा को श्री हरि की सेवा कहा है। ऐसे में अब तो गुलशन खातून जैसे छत्तीस लोग बजरंग परिषद के भरोसे हैं। जी हां फिलहाल तो यह संस्था ही इनलोगों का संकट मोचक है। इस खबर के लिखे जाने तक गुलशन खातून जैसे छत्तीस लोगों को लेकर संस्था के ‘बजरंगी सिपाहियों’ का कारवां गंगा व सागर की संगम स्थली गंगा सागर से रवाना हो चुका था। उक्त 36 लोग वह लोग हैं जो गंगा सागर में पुण्य स्नान के लिये आये थें और अपने परिजनों या साथियों से बिछड़ कर लापता हों गये हैं। लेकिन ऐसे लोगों को मिला बंजरंग परिषद का साथ व स्नेह। बजरंग परिषद के सेवा सचिव प्रेमनाथ दुबे व उप सचिव हरिनारायण दुबे ने बताया कि इस साल गंगा सागर में कुल 2200 तीर्थ यात्री लापाता हुए थे। ज्यादतर को शिविर में रखकर सेवा जतन के बाद उनके परिजनों से मिलवा दिया गया लेकिन 36 लोग अभी अपने परिजनों से मिल नहीं सके हैं। उक्त लोगों को परिषद महानगर कोलकाता स्थित मैढ़ क्षत्रिय धर्मशाला में रखेगी और फिर इन्हें संस्था अपने स्तर पर उनके घरों में सकुशल वापस भेजेगी। इन 36 लापता लोगों में बिहार, उत्तर प्रदेश, तामिलनाडु, राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों के लोग हैं। जबकि लापाता 2200 लोगों में देश के सभी प्रदेशों के लोग थें। सेवा सचिव प्रेमनाथ दुबे व उप सचिव हरिनारायण दुबे ने बताया कि उनकी संस्था एक सौ वर्षो से गंगा सागर में लापता लोगों को उनेक परिजनों से मिलवाती आ रही है और यह कारवां जारी है। उक्त बात की पुष्टी भी इस संस्था के पूर्व सदस्य 95 वर्ष के वयो वृद्ध सामजसेवी हीरा प्रसाद दुबे ने फोन पर किया।  उन्होंने पुराने दिनों की याद करते हुए बताया कि वह लोग गंगासागर एक सौ वर्ष प्राचीन सेवा संस्था बजरंग परिषद की ओर से वहां जाते थें। तब वह लोग हाथों में भला, डंडा व अन्य हथियार लेकर चलते थें। दुर्गम रास्ते पर वह लोग हारकिन की रौशनी में चलते थें और यही हारकिन वहां प्रकाश की व्यवस्था करती थी। तब कई लोग यहां आने से पहले अपना श्राद्ध करके आते थें कि पता नहीं वह घर वापस जा सकेगें की नहीं। देश में जाती धर्म के नाम पर रोटी सेंकने वालों के गाल पर गुलशन खातून का मामला उक्त संस्था द्वारा एक करारा तमाचा है। बहरहाल सुखद सच तो यह है कि बिहार के दरभंगा की निवासी गुलशन अब कफी खुश है क्यों की उसे ‘बजरंगी सिपाहियों’ का साथ मिल गया है और वह घर वापस जाएगी।

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