जगदीश यादव
parvati-Mataउड़ीसा की राजधानी भुनेश्वर में देवों के देव भगवान शिव का अन्यतम प्राचीन लिंगराज मंदिर है। कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां अत्याचारी लिट्टी एवं वसा नामक दो राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था। कहते हैं कि युद्ध के बाद  जगद जननी माता पार्वती को प्यास लगी । ऐसे में भगवान शिव ने कुआं बनाया और फिर सभी नदियों का आह्वान किया। यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है। यह मंदिर वैसे तो भगवान शिव को समर्पित है परन्तु शालिग्राम के रूप में भगवान विष्णु भी यहां मौजूद हैं। मंदिर में आधा भाग भगवान शिव का है एवं आधा भाग भगवान विष्णु का है यही कारण है इसे हरिहर मंदिर भी कहते हैं | निचे का हिस्सा भगवान शिव का है और ऊपर का हिस्सा भगवान विष्णु के रूप में शालिग्राम है | आम तौर पर भगवान शिव के मंदिर के शिखर पर त्रिशूल होता है और भगवान विष्णु के मंदिर में चक्र होता है परंतु यह हरिहर मंदिर होने के कारण गुम्बद पर पिनाकनी धनुष है जिसे शिवधनुष कहते हैं।| बताया जाता है कि की यह मंदिर लगभग 1100 वर्ष प्राचीन है |  मंदिर का निर्माण राजा ययाति केशरी, अनंत केसरी और लालेंदु केसरी इन तीनों के शासनकाल में हुआ है| मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है | मंदिर के पूरे परिसर को चार भागों में बाटा गया है श्री मंदिर, जगमोहन, नाट मंडप एवम भोग मंडप | लिंगराज स्वयंभू होने के कारण इस शहर का नाम है भुवनेश्वर |lingaraj temple modi इस क्षेत्र को गुप्तकाशी भी कहते हैं | मंदिर परिसर के अंदर चौसठ अन्य देवी देवताओं के मंदिर है माना जाता है कि पहले इन मंदिरों की संख्या 108 थी | मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे तो आपको यह पता चलेगा कि मुगल काल में हिंदू मंदिरों को कितनी क्षति पहुंची है |  इस परिसर में अन्य तमाम देवों के अलावा पार्वती मंदिर स्थित है |बिते माह यहां देश के पीएम नरेन्द्र मोदी ने आकर पूाज अर्चना की थी।
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