नये पद पर स्थांतरण से थीं नाराज
मामले पर चढ़ा सियासी रंग

कोलकाता। bharati-ghoshमुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बेहद करीबी पुलिस अधिकारियों में अन्यतम आईपीएस भारती घोष ने अपने पद से इस्तिफा दे दिया है। बिते दिनों आईपीएस दमयंती सेन का सजा के तौर पर बैरकपुर में ही तबादला हुआ था। इससे पहले वह पश्चिम मिदनापुर की एसपी के पद पर थीं। लेकिन इन्हें बैरकपुर कमिश्नरेट में स्टेट आर्म्ड पुलिस, थर्ड बटालियन का कमांडिंग ऑफिसर के पद पर भेजा गया था। कहा जा रहा है कि भारती घोष नये पद पर स्थांतरण से नाराज थीं। राज्य राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि सबंग विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत एकदम से काफी बढ़ने के कारण करीबी अफसर पर ममता दीदी की गाज गिरी है। हलांकि राज्य सचिवालय नवान्न ने इस बात की पुष्टी नहीं की है कि भारती घोष का इस्तीपा स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन खबरों की माने तो राज्य सचिवालय नवान्न ने सूत्र बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि उनका इस्तिफा स्वीकार नहीं होगा।
चर्चा है कि 2016 विधानसभा चुनाव के वक़्त चुनाव आयोग ने भारती घोष का तबादला किया था ताकि वह टीएमसी की सताताधारी सरकार को फायदा दे सके। ममता बनर्जी चुनाव आयोग के इस फैसले पर काफी खफा भी हुई थीं और चुनाव बाद, चुनाव आयोग के तबादले के आदेश को बदल दी थीं। अचानक भारती घोष के इस तबादले के पीछे आखिर वजह क्या है ? दरअसल, 24 दिसंबर को पश्चिम मिदनापुर के सबंग विधानसभा उप चुनाव का परिणाम आया। 2016 में विधायक चुने गए मानस भुइंया की पत्नी गीतारानी भुइंया टीएमसी की टिकट पर अपने पति के मुकाबले करीब 15 हजार से अधिक मतों से विजयी रहीं। लेकिन बात कुछ और ही है, 2016 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के उम्मीदवार काशीनाथ बसु को 2.6 फीसदी यानि 5610 मत मिला था। जबकि 2017 के उप चुनाव में तीसरे स्थान पर ही रहीं बीजेपी उम्मीदवार अंतरा भट्टाचार्य को 18.08 फीसदी यानि 37483 मत मिला है. सिर्फ डेढ़ साल में बीजेपी का वोट 31873 और मत प्रतिशत 15.48 बढ़ गया है। 24 दिसंबर को उप चुनाव का परिणाम आया और 25 दिसंबर को तबादले का आदेश आया। बता दें कि तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम जब पश्चिम बंगाल के दौरे पर आई थी तो विपक्षी दलों ने भारती घोष के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। हालांकि भारती घोष उस वक़्त चुनावी ड्यूटी में नहीं थीं। उन्हें नक्सल प्रभावित तीन जिलों पुरुलिया, बांकुड़ा और पश्चिम मिदनापुर में सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार भारती घोष ने यादवपुर विश्वविद्यालय से एमबीए और बर्दवान विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ली और उसके बाद हारवर्ड यूनिवर्सिटी जाकर वहां के समर स्कूल में अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग एण्ड साइकल एनिलिटिकल थ्योरी, विषयपर अध्ययन किया। वह लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस की भी छात्रा रह चुकी हैं और वह ब्रिटिश सरकार की ओर से मिली राष्ट्रमंडल गुरुकुल छात्रवृत्ति पा कर गयी थीं। भारती घोष ने पहले कोसोव पोल्जे में मल्टी ब्रिगेड फ़ोर्स की कमाण्डर बनकर संयुक्त राष्ट्र की सेवा की। इसके बाद न्यूयार्क में पीस कीपिंग ऑपरेशन्स विभाग में पुलिस प्लॉनिंग एडवाइज़र के तौर पर लम्बे समय तक काम किया। इन्होंने ब्रिटेन के ब्रामशिल अन्तर्राष्ट्रीय पुलिस अकादमी और केन्या के एम्बाकासी मिलिट्री इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण प्राप्त किया. भारती घोष ने टॉड, केंद्रीय अफ़्रीकी गणराज्य, हैती, सोमालिया, इथोपिया और बग़दाद के यूएन मिशन में अपनी सेवाएं दी हैं। भारती घोष ने काफी दिनों तक इटली में संयुक्त राष्ट्र की यूएनएलबी (युनाइटेड नेशन्स लॉजिसटिक बेस -ब्रिंडिशी) में स्टैंडिग पुलिस कैपिसिटी के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। इन्हें 6 बार यूएन मेडल मिल चुका है और 2014 में कमेंडेबल सर्विसेज़ के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। बहरहाल चाहे जो भी हो लेकिन भारती घोष का अपना इस्तिफा सौंपना किसी हैरत से कम नहीं है। हो सकता है कि प्रदेश की राजनीति में यह एक मुद्दा बन जाये तो हैरत नही होगी।

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