अलविदा वर्ष 2017

जगदीश यादव

कोलकाता। dilip-mukul-04-1509787287साल 2017 में देश की राजनीति में कई तरह की उथल-पुथल हुई। राज्यों में सियासत के गलियारों की सरगर्मी दिल्ली तक अकसर महसूस होती है। वजह होती है सियासत में उठा-पटक, नेताओं के विवादित बोल या उनके दांव बदलने के तरीके। इस साल कई राज्यों में सरकारें बदली तो कई नेताओं ने पार्टी भी बदली। कई नेताओं के सुर बागी हो गए तो कईयों ने अपनी ही पार्टी या फिर नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खासमखास रहे तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद और पूर्व रेल मंत्री मुकुल रॉय ने ऐलान किया था कि वह दुर्गा पूजा के बाद पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। मुकुल के इस ऐलान के बाद पार्टी भी हरकत में आई और उन्हें 6 साल के लिए तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद ममता बनर्जी का दाहिना हाथ कहे जाने वाले मुकुल रॉय नवंबर में बीजेपी में शामिल हो गए। तृणमूल कांग्रेस में कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले मुकुल रॉय को पार्टी ने गद्दार कहा था। ऐसे में वर्ष भर मुकुल रॉय किसी न किसी तौर पर मीडिया के सूर्खियों में रहें। कभी विश्वबांग्ला के बहाने सीएम ममता बनर्जी के भतीजे पर मौखिक हमला कर तो कभी भाजपा में अपने सम्भावित कद के लिये।by by 2017 बीरभूम में तृणमूल के जाने पहंचाने चेहरे अणुव्रत मंडल हर समय किसी न किसी विवादित बयानों से वर्ष भर मीडिया में बने रहें। भाजपा और दूसरे विरोधी दलों के नेताओं को धमकी देने वाले बीरभूम जिला तृणमूल अध्यक्ष अणुव्रत मंडल ने तो धमकी देने में सबको पीछे छोड़ दिया है। भाजपा नेताओं को जिंदा जला देने की धमकी देने वाले मंडल को ममता बनर्जी ने केवल मौखिक चेतावनी देकर छोड़ दिया। इस नेता ने अभी हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीभ खींचने और भाजपा नेताओं को जिंदा जलाने की धमकी दी। इस धमकी पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महज चेतावनी देकर छोड़ दिया। यह ममता की पुरानी स्टाईल है, पहले अपने नेताओं से भाजपा और दूसरे विरोधी दलों के नेताओं को गालियां दिलवाती है और बाद केवल चेतावनी देती हैं। भाजपा नेताओं को जिंदा जलाने की धमकी के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति गरमा गयी है। अगर बात राज्य के भाजपा नेताओं की करे तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष भी किसी से पीछे नहीं रहें। वह भी साल भर अपने विवादित बोल बचन से खबरों में रहें। उन्होने कहा था कि जब ममता दिल्ली में नाटक कर रही थीं, हम चाहते तो उनके बाल पकड़ के निकाल सकते थे, हमारी पुलिस वहां हैं, पर हम ऐसा नहीं करते। यही नहीं उनके इस बयान के बाद जब उनसे बात की गई तब भी वह अपने बयान पर कायम कर और कहा कि अगर एक सीएम पीएम के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर सकता है वो ठीक है। यही नहीं दिलीप घोष ने अमर्त्य सेन के बारे में कहा था कि इस देश में उनका क्या योगदान है। घोष ने कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारे एक बंगाली साथी ने नोबल पुरस्कार जीता और हमें इस पर गर्व है.. लेकिन उन्होंने इस राज्य के लिए क्या किया? उन्होंने इस राष्ट्र को क्या दिया है? नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से हटाए जाने से सेन अत्यधिक पीड़ित हैं। ऐसे लोग बिना रीढ़ के होते हैं और इन्हें खरीदा या बेचा जा सकता है और ये किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। ’’ वैसे अगर बात राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करे तो कई माह पहले राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पर उन्हें धमकाने का आरोप लगाया और कहा कि राज्यपाल ‘भाजपा के प्रखंड अध्यक्ष’ की तरह बर्ताव कर रहे हैं।

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