एक जनवरी से शुरु हो सकता है सेवा शिविरों का काम
इसी माह की 22 तारीख को संयुक्त समिति व पुलिस की बैठक
साधु समाज का आगमन शुरु

जगदीश यादव jagdish yadav 13
कोलकाता। हर रोज उसकी अधिरता बढ़ रही है। एकदम निषादराज केवट की तरह। कारण पता नहीं किस वेश में राम आ जाये। गंगासागर तीर्थयात्रा में एक माह से भी कम समय बचा है। बाबूघाट स्थित आउट्रामघाट की अधिरता को महसूस किया जा सकता है। साल भर में यहां जितने लोग नहीं आते हैं इससे ज्यादा लोगों के कदम यहां मात्र एक सप्ताह में पड़ते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि आउट्राम की धरती धर्म का एक ऐसा अध्याय लिख रही है जिसकी व्याख्या यूं कहें कि महत्ता किसी धार्मिक स्थल की महिमा से कम नहीं होगी।pranam.jpg1 इस धरती से जाने- अंजाने में एक ऐसा सफर शुरु हो गया है जिसके पथिक को एक डुबकी में मोक्ष का मार्ग मिलता है। हो सकता है कि एक समय या युग के बाद इस धरती को श्रद्धांलु एक ऐसा मोक्ष के सेतु के तौर पर जानने लगे जिसके रास्ते से होकर गंगा व सागर की संगम स्थली गंगासागर का मार्ग मिलता है। निषादराज केवट की तरह ही आउट्राम घाट यात्रियों के रुप में अपने राम का इंतजार कर रहा है कि कब तीर्थ यात्रियों के चरन कमल रज पड़ेगे। बहरहाल अभी से ही आउट्राम घाट के आसपास साधु समाज के कई लोग आ गये हैं। आउट्राम घाट में सेवा कार्य करने वाली संस्थाओं की समिति गंगासागर तीर्थ यात्री संयुक्त समिति के सचिव भरत मिश्रा से बात करने पर उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस साल पुण्य स्नान के लिये तीर्थयात्रियों की संख्या में व्यापक तौर पर इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि सम्भवताः एक जनवरी से आउट्राम घाट में सेवा शिविरों का काम शुरु हो जाएगा। उक्त जगह आर्मी के अधीन है और आर्मी ने भी यहां शिविरों के लिये हरी झंडी दिखा दी है। राज्य सचिवालय नवान्न में गंगासागर तीर्थ यात्रा को लेकर बैठकें भी हो चुकी है और आउट्राम से लेकर सागरद्वीप तक हर व्यवस्था को राज्य सरकार चाक चौबंद करने के लिये तैयार है।autram ganga-sagar1भरत मिश्रा ने बताया कि 22 दिसम्बर को संयुक्त समिति की पुलिस के वरिय अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक होगी ताकि व्यवस्था को सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चाक चौबंद किया जा सके। हलांकि हर साल यहां सैंकड़ो पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं। सुरक्षा व्यवस्था चाक भी चौबंद होने के साथ ही सीसीटीवी कैमरे व वाच टावरों से आउट्रामघाट पर निगाह रखी जाती है। साल भर सूना रहने वाला आउट्राम मकर संक्रांति के एक सप्ताह पहले से ही आध्यात्म की नगरी में बदल जाता है। गंगासागर जाने वाले साधु-सन्यासी यहां डेरा जमा लेते हैं और रंग-बिरंगे खिलौने और तरह-तरह के सामान से अटी दुकानों की कतार भी लग जाती है।

Spread the love
  • 25
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    25
    Shares
  •  
    25
    Shares
  • 25
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •