देश के इतिहास में दर्ज हुआ सुनहरा पल

मालदा। अपवादों को छोड़ दें तो इस बात में कोई संदेह नहीं है इस देश में हर एक को उसका अधिकार मिलता है। जी हैं, मालदा जिला विधिक प्राद्यिकरण की राष्ट्रीय लोक अदालत में इतिहास रचा गया। यहां लोक अदालत में तीन ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य जज बने और फैसले सुनाए।राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान यहां 8 बेंच बैठी थीं। पूरे दिन में यहां 900 मामले निपटाए गए। समाज की मुख्य धारा से अलग रखे जाने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के देबाशीष आचार्य उर्फ देबी, जिया दास और अरिंदम शाह गुप्ता ने भी मामलो की सुनवाई की। अधिकारियों ने बताया कि देश में पहली बार ऐसी पहल की गई है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को शामिल किया गया हो। जिया (पहले जीशू) ने जज राजेश तमंग के साथ बैठकर बैंक लोक और मोटर बाइक ऐक्सिडेंट्स के मामलों की सुनवाई की। उन्होंने बताया कि वह यह अनुभव उसके पूरे जीवन में नहीं भूलेगी। उन लोगों को चलते राह छेड़ा जाता है। अनुभवी और ज्ञानी जजों के साथ बेंच पर बैठना और लोक अदालत में आए हुए लोगों के मुंह से सर सुनना वह कभी नहीं भूल पाएंगी। गुशेद देबी ने बताया कि इससे पहले हमेशा उन लोगों के साथ अछूत की तरह व्यवहार किया जाता था। लोगों के अपशब्द सुनने पड़ते थे। अब लोग उनके पास उनके पास विवादों का निपटारा करवाने के लिए आए। गुशेद देबी ने कहा कि इस तरह के पैसले से उनके समुदाय के लोगों का सशक्तिकरण सिर्फ राज्य में ही नहीं पूरे देश में हुआ है।
मालदा जिला विधिक सेवा प्राद्यिकरण के अधिकारी बिक्रम रॉय ने बताया कि इस तरह के आयोजन का मकसद लोगों को यह बताना था कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग भी समाज की मुख्यधारा का हिस्सा हैं। उन्हें भी दूसरों की तरह समान अधिकार हैं। बहरहाल इश देश की यही खासियत है कि यहां का लोकतंत्र हर स्तर पर बलिष्ठ है और इसकी तूती बोलती रहेगी।

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