जगदीश यादव

शीतला माता की पूजा देश भर में की जाती है।स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। उत्तर प्रदेश के जौनपुर मेंशीतला चौकियां देवी का जाग्रत मन्दिर प्राचीन व जन आस्था का केन्द्र है।chaukiya mata 2 इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि हिन्दु राजाओं के शासनकाल में जौनपुर का शासन अहीर शासकों के हाथ में था। स्थानीय लोगों व ऐतिहासिकजानकारी से पता चलता है कि जौनपुर का पहला अहीर शासक हीरा चन्द्र यादव माना जाता है। जनश्रुति है कि शीतला माता की प्रतिरुप चौकियां देवी का मन्दिर कुल देवी के रूप में यादवों द्वारा बनवाया गया। लेकिन यह भी कहाजाता उक्त चौकियां मन्दिर भरो द्वारा बनवाया था। भर अनार्य थे। संदेह नही है कि जौनपुर में भरो का आधिपत्त नहीं था। माना जाता है कि सबसे पहले चबूतरे यानी चौकी पर देवी की स्थापना की गयी होगी इसीलिए इन्हेचौकिया देवी कहा गया। उन्होने शीतला चौकिया के पास तालाब का भी र्निमाण कराया। कहते हैं कि मंदिर क्षेत्र में जब माता के भक्तगण रसोई या प्रसाद बनाकर लेतें हैं तो दाल आदी में नमक नहीं डालना पड़ता है। जबकि मंदिरक्षेत्र से बाहर आते ही रसोई के लिये नमक का इस्तेमाल करना पड़ता है। आखिर कौन सा ऐसा रहस्य है कि मंदिर क्षेत्र का जल नमक युक्त है और बाहर समान्य।कहते हैं कि सात देवियोंमें मां शीतला सबसे छोटी है लेकिन इनकास्थान इन सभी मे सबसे प्रमुख है। मां के दर्शन के लिये हर सोमवार व शुक्रवार को श्रद्धांलुओं की भारी भीड़ होती है। लेकिन अगर मौका नवरात्रि का हो तो श्रद्धालुओं का रेला देर रात तक मां के दरपर नजर आता है।कहा जाता है कियहां के दर्शन के बाद ही मैहर देवी, वैष्णों देवी व विध्यवासिनी देवी का दर्शन सफल होता है। पूर्वाचंल के लोगो का मुख्य आस्था का केद्र मां शीतला चौकियां धाम में श्रद्धालु दर्शन पूजन कर अपनी मुराद पूरी होने की गुहार लगानेआते है। स्थानीय लोगों की माने तो इब्राहिम शाह शर्की ने गोमती नदी के किनारे प्रेमराजपुर स्थित विजय मंदिर जो शीतला देवी का मंदिर को गिरवाने लगा तो कुछ हिन्दू भक्त शीतला देवी की मूर्ति उठा ले गए। उसे देवचन्दपुर मेंस्थापित कर दिया। वहीं शीतला देवी मंदिर धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात हो गया। यहां वर्ष पर्यन्त शादी-विवाह, मुंडन और जनेऊ संस्कार भी होते रहते हैं।यहां समय- मय पर सौन्दर्यीकरण भी कराया जाता रहा है। इस शक्ति पीठ पर पूजा तथा दर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक आ चुकें हैं।।

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