कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि शीतकालीन सत्र में देरी का फैसला सरकार के रक्षात्मक रवैये को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले दो महीने से रक्षात्मक मोड में है जो विपक्ष के लिए अच्छा है।संसद का शीतकालीन सत्र इसबार छोटा हो सकता है क्योंकि अधिकतर सांसद गुजरात विधानसभा चुनावों में प्रचार करने में व्यस्त होंगे जो दिसम्बर में दो चरणों में होने जा रहा है. इस पर अंतिम निर्णय संसद की कैबिनेट मामलों की समिति (सीसीपीए) करेगी लेकिन सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सत्र नवम्बर के अंतिम हफ्ते में बुलाया जा सकता है और यह एक हफ्ते या दस दिनों का हो सकता है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सीसीपीए की बैठक की तारीख को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. गुजरात चुनाव नौ और 14 दिसम्बर को होंगे और वोटों की गिनती 18 दिसम्बर को होगी. हिमाचल प्रदेश में चुनाव नौ नवम्बर को होंगे और वहां भी वोटों की गिनती 18 दिसम्बर को होगी. संसद का शीतकालीन सत्र सामान्य तौर पर मध्य नवम्बर से दिसम्बर के तीसरे हफ्ते तक चलता है.राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘दो नवम्बर बीत गया. हमें अब भी संसद सत्र की तारीख का पता नहीं है. मुझे उम्मीद है कि संसद सत्र 20 या 21 नवम्बर से शुरू हो सकता है. सरकार तारीखों की घोषणा करने में इतना सावधान क्यों है.’उन्होंने कहा, ‘वर्ष की शुरुआत में ही संसद का कैलेंडर बनाना अच्छा विचार है. तारीखों की घोषणा से पहले वे खेल क्यों खेल रहे हैं.’ भाकपा के डी राजा ने सरकार द्वारा सत्र को छोटा करने के किसी भी प्रयास की निंदा की. राज्यसभा में भाकपा नेता राजा ने कहा, ‘सरकार ने औपचारिक रूप से हमें कोई जानकारी नहीं दी है. शीत सत्र को छोटा करना सही नहीं है. संसद की बैठक एक वर्ष में कम से कम 100 कार्य दिवसों के लिए नहीं हो रही है. राज्यों में चुनाव हो रहे हैं लेकिन शीत सत्र को छोटा करने का यह कारण नहीं हो सकता है.’

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