कोलकाता। विज्ञान का सार मानव का सम्मोहन और उत्सुकता से संबंधित है। यह नई सीमाओं के लिए अंतहीन खोज से संबंधित है। आर्यभट्ट और चरक के युग से लेकर हजारों वर्षों तक भारत में विज्ञान और जांच-पड़ताल की इसकी भावना को अंगीकार किया है। उक्त बात राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज महानगर कोलकाता के राज भवन में आयोजित विज्ञान चिंतन समारोह में कही। वह कोलकाता के वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित कर रहे थें।इस अवसर पर संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि विज्ञान हमारा बौद्धिक कारण तथा बलगुणक रहा है। आधुनिक युग में कोलकाता एवं बंगाल इस प्रक्रिया के केन्द्रीय हिस्सा रहे हैं। आज हमारे सामने बड़ी चुनौती इसे राज्य के बाहर एवं भीतर दोनों ही जगहों पर दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तारित करने की है।राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईएससी, बैंगलूरु की स्थापना स्वामी विवेकानंद द्वारा जमशेदजी टाटा को हमारे देश में एक विश्व स्तरीय वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान की स्थापना करने के आग्रह के बाद की गई थी। उन्होंने कहा कि आज भी बंगाल के युवा छात्र, युवा विज्ञान स्नातक एवं वैज्ञानिक, युवा इंजीनियर एवं तकनीकीविद विज्ञान और ज्ञान के प्रसार में बहुत अधिक योगदान देते हैं। ऐसा वे पूरे देश और पूरे विश्व में करते हैं। बंगाल की वैज्ञानिक प्रतिभा समूह का दोहन करना खुद बंगाल के लिए काफी लाभदायक है और कोलकाता को भारत के टेक हब के रूप में रूपांतरित करना, जैसा कि यह एक सदी पहले या यहां तक कि 50 वर्ष पहले जैसा भी इसे बनाना, महत्वपूर्ण है।राष्ट्रपति ने राष्ट्र के प्रति वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे राष्ट्र के वास्तविक निर्माता हैं और उन पर नवीन भारत या एक ऐसे भारत जो 2022 तक कुछ विशेष विकास उपलब्धियों को हासिल कर लेगा, के लक्ष्य को अर्जित करने की जिम्मेदारी है।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •