सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर जतायी खुशी

कोलकाता। दशको पहले एक बांग्ला गीत ‘आमी कोलकातार रसोगोल्ला’ ने धूम मचा दी थी। आज यह गीत समसामयिक तौर पर राज्य बंगाल व ओडिशा के बीच रसगुल्ले को लोकर चल रहे जंग में बंगाल की जीत पर सटीक बैठता है। जी हां, राज्यवासी बधाई के पात्र है कि पश्चिम बंगाल ने ओडिशा से रसगुल्ले की जंग जीत ली है।  खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि हम सभी के लिए मीठी खबर है। हम खुशी और गर्व के साथ ये कहना चाहते हैं कि बंगाल में सबसे पहले रसगुल्ला मिलने के भौगोलिक संकेत मिल गए हैं और सरगुल्ले के इजाद पर हमारा अधिकार सिद्ध हो गया है।  दरअसल दोनों राज्यों के बीच विवाद इस बात को लेकर था कि रसगुल्ले का इजाद कहां हुआ। ये मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब साल 2015 में ओडिशा के विज्ञान एंव तकनीकी मंत्री प्रदीप कुमार ने दावा किया कि रसगुल्ला का इजाद ओडिशा में हुआ।  उन्होंने इस दावे को सिद्ध करने के लिए भगवान जगन्नाथ के खीर मोहन प्रसाद को भी जोड़ा। इसपर पश्चिम बंगाल के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री अब्दुर रज्जाक मोल्ला ने कहा कि रसगुल्ला का इजाद पश्चिम बंगाल में ही हुआ है और हम ओडिशा को इसका क्रेडिट नहीं लेने देंगे। दोनों राज्य सरकारें इस मामले को लेकर कोर्ट तक गया। राज्यों की दलीलें सुनने के बाद ओड़िशा सरकार के दावों को खारिज करते हुए बंगाल सरकार को रसगुल्ला का जीआइ टैग दे दिया गया है। यानी ओडिशा को हराकर बंगाल ने इस महा मिठाई पर राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भौगोलिक संकेत (जीआइ) का टैग अब मिल चुका है। तो क्यों नहीं रसगुल्ले की जीत पर रसगुल्ला हो जाये। बता दे कि ओडीशा का दावा रहा है कि रसगुल्ला पुरी में जगन्नाथ मंदिर से प्रचलन में आया, जहां पर धार्मिक अनुष्ठान के तहत 12 वीं सदी से यह इसका हिस्सा रहा है। ओड़ीशा इसे ‘पहला रसगुल्ला’ कहता है। 1860 के दशक में रसगुल्ला बनाने वालों में से एक पश्चिम बंगाल के नोबिन चरण दास काफी चर्चित रहे हैं

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