कोलकाता। राज्य में हासिए पर जा चुकी वाममोर्चा को अब जन आक्सीजन की जरुरत है। कारण वाम मोर्चा राज्य में राजनीतिक संकट का सामना भी कर रहीं है। ऐसे में लोगों के सामने रहने व वजूद बनाये रखने की जरुरत भी आन पड़ी है।  अक्टूबर क्रांति की शताब्दी मना रही वामपंथी पार्टियों को हो सकता है कि थोड़ बहुत आक्सीजन मिल जाये। वाम मोर्चे का मानना है कि इससे उसके जमीनी कार्यकर्ताओं को अपना खोया हुआ जनाधार पाने और देश में विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला करने का रास्ता भी मिलेगा। नेताओं ने कहा कि बंगाल में सीपीएम और सीपीआई जैसे वाम दलों को लगता है क्रांति की सफलता और शिक्षाओं से उनकी ओर युवा पीढ़ी को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। सीपीएम की केंद्रीय कमेटी के सदस्य बासुदेव आचार्य ने कहा, ‘हां, यह सच है कि हम संकट का सामना कर रहे हैं। यही कारण है कि अक्टूबर क्रांति की शिक्षा और सफलता से प्रेरणा लेना हमारे लिए महत्वपूर्ण ही नहीं है बल्कि विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला करने के लिए भी रास्ता निकालना होगा।’ सीपीएम और दूसरे वाम दल अक्टूबर क्रांति के 100 साल होने के उपलक्ष्य में समूचे राज्य में महीने भर चलने वाला राजनीतिक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इसे मनाने से वाम को अपना खोया हुआ आधार पाने में किस तरह मदद मिलेगी, यह पूछे जाने पर सीपीएम पोलितब्यूरो के सदस्य हनान मोल्ला ने कहा कि यूएसएसआर ने गरीबी, पिछड़ेपन और अशिक्षा से निकालने में रिकॉर्ड बनाया। सीपीआई की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रबीर देव ने कहा कि इसका आयोजन अक्टूबर क्रांति की सफलता के बारे में आम लोगों, खासकर युवाओं तक पहुंच बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। बहरहाल देखना है कि आगे क्या होता है।
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