कोर्ट का सवाल, कानून के खिलाफ कैसे जा सकता है राज्य

कोलकाता। राज्य सरकार को एक झटका लगा है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मोबाइल फोन नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी है। कोर्ट ने ममता सरकार से कहा कि वह संसद से पास कानून के खिलाफ कैसे जा सकती हैं। कोर्ट द्वारा कहा गया कि राज्य सरकार कैसे कानून के खिलाफ जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ममता बनर्जी निजी तौर पर कोर्ट में आ सकती हैं। कोर्ट ने ममता सरकार से कहा है कि अगर ऐसा होता है तो राज्य के बनाए कानून पर केंद्र भी चुनौती देगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अपनी याचिका में बदलाव करने को कहा है।  सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार और टेलिकॉम कंपनियों को नोटिस जारी किया है। आपको बता दें कि ममता बनर्जी खुली चेतावनी दी थी कि वह अपने मोबाइल को आधार से लिंक नहीं करेंगी, भले ही उनका फोन बंद क्यों न कर दिया जाए। ममता बनर्जी ने ऐसा न करने के पीछे कई वजह भी बताईं. उन्होंने कहा, ‘जैसे ही आप आधार से मोबाइल लिंक करेंगे उन्हें (केंद्र सरकार) सब पता चल जाएगा। घर में आप क्या खा रहे हैं. पति-पत्नी क्या बात कर रहे हैं.। सब उन्हें पता चल जाएगा’ । ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की एक मीटिंग के दौरान ये बात कही. उन्होंने इसके लिए प्राइवेसी का हवाला दिया. ममता ने कहा, ‘मैं फोन को आधार से लिंक नहीं करुंगी, एजेंसी को फोन काटना है तो काट दें. मैं दूंगी तो चैलेंज करके दूंगी’। उन्होंने उक्त मामले पर लोगों से भी की अपील करते हए व उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘मैं बाकी लोगों से भी इस मामले में आगे आने की अपील करती हूं. मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करने का यह कदम व्यक्तिगत गोपनियता पर हमला करना है। बता दें कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने 23 मार्च को मोबाइल से आधार लिंक कराने का आदेश जारी किया था. तब से ममता बनर्जी इसका विरोध कर रही हैं।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि यह अपील राज्य के श्रम विभाग ने दायर की है क्योंकि इन योजनाओं के तहत सब्सिडी वही वितरित करता है।पीठ ने कहा, आप हमें संतोषजनक उत्तर दें कि कैसे एक राज्य इसे चुनौती दे सकता है। हम जानते हैं कि इस मुद्दे पर विचार की जरूरत है। पीठ ने कहा कि केन्द्र के कदम को कोई व्यक्ति चुनौती दे सकता है, राज्य नहीं।न्यायालय ने कहा, ममता बनर्जी को एक व्यक्ति के रूप में अपील दायर करने दें। हम उस पर विचार करेंगे क्योंकि वह एक व्यक्ति होंगी।  हालांकि, सिब्बल ने कहा कि राज्य ऐसी अपील दायर कर सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपील में लिखे अनुरोध में बदलाव करेंगे। इस बीच न्यायालय ने मोबाइल नंबरों को आधार से जोड़ने को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवायी करते हुए केन्द्र को नोटिस जारी किया और उसपर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।इससे पहले केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को उनसे जोड़ने की अनिवार्यता की तिथि बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 कर दी गई है। यह प्रावधान उनके लिए किया गया है जिनके पास अभी भी 12 डिजिट की बायोमीट्रिक पहचान संख्या  आधार  नहीं है।केन्द्र ने कहा कि यह समय विस्तार सिर्फ उनके लिए है जिनके पास आधार नंबर नहीं है और जो इसके लिए पंजीकरण कराना चाहते हैं।

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