जीएसटी के विरोध में दुकानदारों ने दिखाई ताकत

कोलकाता। सोमवार को सारा दिन राज्य में लोग मिठाई के लिये तरसते रहें। ऐसे में इस राज्य के लोगों का मिठाइयों से दूर रहना कितना तकलीफदेह होता है यह तो इस राज्य के लेग ही समझ सकते हैं। पश्चिम बंगाल में मिठाइयों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के विरोध में मिष्ठान विक्रेताओं की एकदिवसीय हड़ताल के आह्वान का आज व्यापक असर रहा। मिष्ठान विक्रेताओं ने मिठाइयों पर अधिकतम 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने को इस व्यवसाय के लिए खतरा करार दिया है।  उन्होंने जल्दी खराब हो जाने वाली सब्जियों, फल और मछलियों का हवाला देते हुए कहा कि जब इन वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में नहीं रखा गया है तो इसी श्रेणी में आने वाली बंगाली मिठाइयों पर जीएसटी क्यों लगाया गया है। हड़ताल के दौरान मिष्ठान विक्रेताओं ने एकत्र होकर 23 अगस्त से मैदान क्षेत्र में 72 घंटे की भूख हड़ताल करने का निश्चय किया। दुकान मालिकों ने भूख हड़ताल आंदोलन करने की अनुमति लेने के लिये अधिकारियों से मुलाकात भी की है। जीएसटी के अनुसार संदेश और रसगुल्ला पर पांच प्रतिशत जीएसटी, समोसा और कचौड़ी पर 12 प्रतिशत जीएसटी और सर्वाधिक 28 फीसदी जीएसटी चॉकलेट मिठाई पर लग रहा है।वाम दलों की सरकार के दौरान मिठाई बनाने और बेचने वालों के विरोध के बाद मिठाई पर लगे वैट को वापस ले लिया गया था। एसोसिएशन का मानना है कि इस बार भी सरकार को मिठाइयों पर से जीएसटी हटाना ही होगा। 21 अगस्त से बंद के अलावा असोसिएशन ने 24 से 26 अगस्त तक विरोध प्रदर्शन का अह्वान किया था। मिठाई विक्रेताओं बेरा दास, राजू मोइरा का कहना है, ‘ग्राहक पहले के जैसे मिठाइयां नहीं खरीद रहे हैं इसलिए हम हड़ताल करने पर मजबूर हुए।’

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