सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक फिर किये गये तलब

कोलकाता। राज्य के बहुचर्चित जलपाईगुड़ी बाल तस्करी मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य प्रशासन के बीच ठन गई है क्योंकि बार-बार सम्मन किए जाने के बावजूद प्रदेश के आला अधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और इसके उलट उन्होंने एनसीपीसीआर के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किए हैं । अब एनसीपीसीआर ने एक बार फिर से राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) को 29 अगस्त को अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए सम्मन किया है।एनसीपीसीआर ने इस वरिष्ठ अधिकारी को 25 जुलाई को भी उपस्थित होने के लिए सम्मन किया था, लेकिन वह यह कहते हुए उपस्थित नहीं हुए कि जलपाईगुड़ी मामले को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग देख रहा है, इसलिए इस मामले में राष्ट्रीय आयोग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं बनता है।
एनसीपीसीआर का कहना है कि पश्चिम बंगाल प्रशासन इस मामले में अपने अधिकारियों को बचा रहा है, इसलिए वह राज्य आयोग की जांच का बहाना बना रहा है। आयोग के एक अधिकारी ने भाषा से कहा, ऐसा लगता है कि इस पूरे मामले में राज्य प्रशासन अपने अधिकारियों को बचा रहा है। इसलिए वह बार-बार सम्मन किए जाने के बावजूद अपने अधिकारियों को आयोग के समक्ष नहीं भेज रहा है। वह बहाना बना रहा है कि राज्य का आयोग इस मामले को देख रहा है। उधर, इस मामले पर एनसीपीसीआर के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया, हमने पिछले महीने भी सीआईडी के एडीजीपी को सम्मन किया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। अब फिर से उनको 29 अगस्त को सम्मन किया गया है। देखते हैं कि वह उपस्थित होते हैं या नहीं। 29 अगस्त के बाद हम इस मामले पर अगला कदम उठाएंगे। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि बीते 25 अप्रैल को जलपाईगुड़ी के जिला अधिकारी को भी तलब किया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए और यह बताया गया कि इस पूरे मामले की जांच सीआईडी कर रही है। इसके बाद सीआईडी के अधिकारी को सम्मन करने का फैसला किया गया। अधिकारी ने कहा, इस मामले के प्रकाश में आने के बाद हमने राज्य के पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव, जिला अधिकारी और कुछ दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले से जुड़े दस्तावेज मांगे थे, लेकिन वे दस्तावेज हमें नहीं मिले।प्रशासन की तरफ से हमारा सहयोग नहीं किया गया। हमने फिर से जिला प्रशासन से कागजात मांगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जिला अधिकारी को सम्मन किया गया। फिर बताया गया कि सीआईडी जांच कर रही है तो एडीजीपी को सम्मन किया गया। राज्य प्रशासन की ओर से अब तक कोई सहयोग नहीं किया गया है।दरअसल, जलपाईगुड़ी बाल तस्करी मामले में भाजपा की एक महिला नेता की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया था। आयोग ने इस घटना की सच्चाई पता करने के लिए एक टीम मौके पर भेजी थी और यह टीम इस नतीजे पर पहुंची कि इस पूरी घटना के लिए जिला प्रशासनिक स्तर की नाकामी और लापरवाही जिम्मेदार है तथा इस पूरे मामले को जानबूझाकर राजनीतिक रंग दिया गया।

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