कोलकाता। देश की सांस्कृतिक राजधानी में अब घरेलु हिंसा की घटनाएं इस कदर बढ़ गई है कि इस महानगर ने देश के सब शहरों को उक्त मामले में पिछे छेड़ दिया है। यानी साफ कहें तो पश्चिम बंगाल में घरेलू हिंसा के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है। नेशनल क्राइम रिकॉऱ्ड्स ब्यूरो से मिले आंकड़े यही बता रहे हैं। साल 2016 की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू हिंसा के मामलों में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। 2015 में जहां राज्य में 20,265 महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुईं, वहीं 2016 में यह आंकड़ा 34,205 तक पहुंच गया। ये आंकड़े बता रहे हैं कि सूबे में घरेलू हिंसा के मामले कितने बढ़ गए हैं। एनसीबीआरबी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में भी पिछले साल घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़त दर्ज की गई, लेकिन, पश्चिम बंगाल अव्वल रहा और यूपी दूसरे स्थान पर बना रहा। हालांकि, इस मामले में अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई है। एनसीबीआरबी में फाइनल रिपोर्ट छप जाने के बाद असल आंकड़ों का पता चलेगा, लेकिन इन आंकड़ों से ज्यादा अंतर नहीं मिलेगा। साल 2015 में पश्चिम बंगाल में घरेलू हिंसा के मामलों में 21, 619 गिरफ्तारियां हुईं और पत्नी को पीटने, दहेज की मांग और सूइसाइड के लिए उकसाने के मामले सामने आते रहे। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लीना गंगोपाध्याय की राय है, ‘घरेलू हिंसा के बारे में जागरूकता के चलते महिलाएं अब खुलकर सामने आ रही हैं। लेकिन, हमें महिलाओं को और जागरूक करने की जरूरत है। हम आसान भाषा में किताबें छापने के बारे में सोच रहे हैं ताकि लोगों को आसान भाषा में सब बातें समझाई जा सकें।’ प्रफेसर साश्वती घोष का कहना है, ‘यह सच है कि हमारे राज्य में घरेलू हिंसा को लेकर महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि इसका गलत इस्तेमाल न हो।’
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