प्रदेश के नेता जा सकते हैं पार्टी लाइन से अलग

कोलकाता। लगता है दुनियां भर में मार्क्सवादियों के दिन ढल गये हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केंद्रीय समिति और वरिष्ठ नेता प्रकाश करात द्वारा पश्चिम बंगाल से संबंधित कुछ फैसलों से नाराज कुछ कार्यकर्ता पार्टी लाइन से अलग जाने का विकल्प चुन सकते हैं। यह मामला राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन से जुड़ा हुआ है। कुछ नेता एक नई पार्टी का गठन भी कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के माकपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सेंट्रल कमिटी और करात ने राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन का विरोध किया है। वहीं राज्य समिति इस गठबंधन के पक्ष में है। इसके साथ सीताराम येचुरी के राज्यसभा नामांकन पर भी केंद्रीय और राज्य इकाईयों में आपसी तालमेल नहीं हो सका था। 24 नॉर्थ परगना के नेता मृणाल चक्रवर्ती ने राज्य समिति की बैठक में अलग पार्टी के गठन का संकेत दिया। उन्होंने कहा, ‘सेंट्रल कमिटी को को बंगाल की कोई परवाह नहीं है। उन्होंने हमारी सलाह को खारिज करते हुए अपने मत को थोप दिया। हम ऐसा नहीं होने दे सकते हैं। अब दूसरी तरह से सोचने का वक्त आ गया है।’उनके साथ ही नेपालदेब भट्टाचार्य, सोमनाथ भट्टाचार्य, राहुल घोष ने भी यही विचार रखे।इससे पहले माकपा सेंट्रल समिति के सदस्य गौतम देब करात-लाइन से अलग जा चुके हैं। वह पूर्व पार्टी सचिव का खुलकर विरोध करने वाले पहले नेता हैं। माकपा को छोड़कर अलग पार्टी बनाने की यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले 2001 में सैफुद्दीन चौधरी और समीर पुटाटुंडा ने भी अलग होकर पीडीएस पार्टी बना ली थी।

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