अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करना चाहा

प्रमोटर के तिकड़म से परेशान होकर दिया क्रियाकलाप को अंजाम

कोलकाता। महानगर कोलकाता में मंगलवार के दिन जिस तरह अमंगल की एक घटना घटी। उक्त घटना ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस दिन एक 88 साल के शख्स ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस निशीथ महात्रे के सामने खुद को आग लगाकर जान देने की कोशिश की। बुजुर्ग का नाम शंकर मांझी है। वह महानगर के बेहाला के चौरस्ता इलाके के रहने वाले हैं। यह अलग बात है कि कोर्ट में मौजूद वकिलों ने वृद्ध शंकर मांझी को बचा लिया। कोर्ट सूत्रों ने बताया कि सांझी ने उक्त घटना को इस दिन दोपहर लगभग 12 बजे अंजाम दिया। जैसे ही इस दिन कलकत्ता हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस निशीथ महात्रे आये उसी समय शंकर मांझी चिल्लाते लगे और फिर अपने कुर्ते की जेब से पेट्रोल की बोतल निकाली और फिर अपने उपर पेट्रोल डाला औऱ माचीस की तिली से आग लगाते की वकिलों ने उन्हें दबोच लिया।

पल भर के लिये सभी पत्थर बन गये और कोर्ट में सन्नाटा छा गया औऱ फिर पुलिस ने शंकर मांझी को हिरासत में ले लिया। घटना के बावद जांच व पूछताछ करने पर कोर्ट सूत्रों ने बताया कि उक्त वृद्ध का एर प्रमोटर असीम मंडल के साथ उनके जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। 2008 में अलीपुर कोर्ट में मामला शुरु हुआ। आरोप है कि प्रमोटर असीम मंडल ने शंकर के बेहाला स्थित संजीव पल्ली के 3, बिरेन राय रोड के तीन कट्ठा जमीन पर जबरन कब्जा कर प्रमोटिंग शुरु की। अलीपुर के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट में न्यायधिश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की अदालत में मामला शुरु हुआ। लेकिन शंकर मांझी वहां मामला हार गये। सामझी का आरोप है कि तमाम लोगों की मिली भगत और षडयंत्र के कारण ही वह मामला हारे। मामले के दौरान उनकी पत्नी की भी मौत हो गयी व और अभाव में उनकी बेटी ने खुदकुशी कर ली। एकमात्र पुत्र अराबाग में खेती कर किसी तरह से अपना पेट पालता है। लेकिन शंकर को फुटपाथ में सोना पड़ता है। मांझी का कहना है कि वह न्याय नहीं मिल पाने से टूट गये हैं और यही कारण है कि वही अपना जीवन न्याय के मंदिर में ही समाप्त कर देना चाहते थें कि उन्हें बचा लिया गया। पुलिस का कहना है कि बुजुर्ग मानसिक तौर पर बीमार हैं उनके इलाज की भी जरुरत है।

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