कोलकाता। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में वोटिंग पैटर्न ने भाजपा के रणनीतिकारों को खुश कर दिया है। ये दोनों राज्य भाजपा के विस्तार की योजनाओं में प्राथमिकता में हैं।  बंगाल में भाजपा नीत एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को 11 विधायकों का समर्थन मिला था।
यहां से पार्टी के छह विधायक हैं। वहीं त्रिपुरा में पार्टी को सात विधायकों का समर्थन मिला जहां से पार्टी का एक भी विधायक नहीं है। इसे पार्टी के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। इस समय पश्चिम बंगाल राजनीतिक बदलाव से गुजर रहा है। पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया कि अन्य दलों के नेताओं को लग रहा है कि भाजपा, ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लिए मुख्य चुनौती के रूप में उभर रही है। रोचक है कि राज्य में 10 मत अवैध घोषित हो गए।भाजपा इसे इस बात के संकेत के रूप में देख रही है टीएमसी के विधायकों ने पार्टी लाइन से अलग हटकर मीरा का समर्थन नहीं किया।  294 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी के दलों के छह विधायक हैं। वहीं केरल में विस्तार की संभावना देख रही भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा है। पार्टी यहां विपक्षी विधायकों को लुभाने में असफल रही। केरल से एनडीए के उम्मीदवार को महज अपने एक विधायक ओ. राजागोपाल का ही वोट मिला।
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