अब सशस्त्र क्रियाकलाप की तैयारी

दार्जिलिंग।राज्य में अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा  अब आर्म्ड मूवमेंट की तैयारी में है। वह हथियारों के साथ लंबी लड़ाई का प्लान बना रहा है। उसने अपने कैडर को ट्रेनिंग देने के लिए पड़ोसी देशाें से माओवादयों को बुलाया है। यह दावा वेस्ट बंगाल पुलिस के सीनियर ऑफिशियल्स ने किया है। बता दें कि गोजमुमो के बेमियादी बंद के 38 दिन हो गए हैं। इस दौरान पुलिस स्टेशन और चौकियों पर कई हमले हुए हैं। हथियार और गोलाबारूद लूटा गया है, जो माओवादियों के आंदोलन की पहचान है। सरकारी संपत्ति को निशाना बना सकते हैं।
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अनुज शर्मा ने बताया, “हमें खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली है कि गोजमुमो  ने पड़ोसी देशों से माओवादियों को बुलाकर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है। ये लोग सरकारी संपत्ति, पुलिस और प्रशासन के सीनियर अफसरों को निशाना बनाकर हालात और खराब कर सकते हैं। सीनियर पुलिस और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिशियल्स हालात से निपटने की तैयारी कर रहे हैं।” गोजमुमो  के पास काफी गोला-बारूद है।  एक सीनियर ऑफिशियल ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, “गोजमुमो ने कैडर्स को ट्रेनिंग देने के लिए 25-30 माओवादियों को बुलाया है।”
उन्होंने कहा, “गोजमुमो  के पास काफी हथियार और गोला-बारूद है। यह कुछ सालों से जुटाया जा रहा है। हमारे पास खुफिया सूचनाएं हैं कि वे पहाड़ों पर अंडरग्राउंड आर्म्ड मूवमेंट की तैयारी कर रहे हैं।
पुलिस  ने बताया कि इंटेलिजेंस एजेंसियों से खुफिया सूचना मिलने के बाद राज्य सरकार ने कई सीनियर आईपीएस अफसरों को दार्जिलिंग भेजा है। इनमें से कई अफसरों को 2009 से 2012 में राज्य के जंगलमहल इलाके में माओवादियों के आंदोलन से निपटने का तजुर्बा है। माओवादियों से मुकाबला करने में माहिर सीनियर आईपीएस अफसर मनोज वर्मा को दार्जिलिंग का आईजी बनाया गया है।
 उधर गोजमुमो ने माओवादियों की मदद लेने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। संगठन के जनरल सेक्रेटरी रोशन गिरि ने कहा, “ये बिल्कुल बेबुनियाद बयान हैं। यह बयान हमें बदनाम करने के लिए दिया गया है। ये सब लोकतांत्रिक आंदोलन को नाकाम करने के लिए किया जा रहा है।”
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