राज्य और केंद्र सरकारों के रवैये पर कलकत्ता हाईकोर्ट की फटकार

दार्जिलिंग/कोलकाता। ममता सरकार के लिये सिर दर्द हो चुके अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग बंद के 28वें दिन कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. पुलिस और सुरक्षा बल पहाड़ियों की सड़कों पर गश्त कर रहे हैं. प्रवेश एवं निकास मार्गों पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं. इंटरनेट सेवा आज 25 वें दिन भी ठप्प पड़ा हुआ है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) आज दिन में पहाड़ी के विभिन्न हिस्सों में रैलियों का आयोजन करेगा. रक्षा सूत्रों ने बताया कि सोमवार रात में करीब 50 जवानों वाले सेना के एक कॉलम को कोलिमपोंग में तैनात किया गया.kol highe

दार्जिलिंग और सोनदा में हिंसा और आगजनी की घटनाओं के बाद वहां पहले से ही सेना के दो कॉलम तैनात हैं. मिरिक में कल हुयी सर्वदलीय बैठक में अनिश्चित हड़ताल जारी रखने और ‘गोरखालैंड’ की मांग को लेकर दवाब बनाने के लिए 15 जुलाई से आमरण अनशन करने का निर्णय लिया गया.
वही हिंसाग्रस्त दार्जिलिंग में शांति बहाली में नाकाम राज्य और केंद्र सरकारों के रवैये पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस निशिता निर्मल महात्रे की बेंच ने पूरे मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार की लड़ाई में दार्जिलिंग के नागरिक पिस रहे हैं। कोर्ट ने दार्जिलिंग में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की कुछ कंपनियां बदलने में आ रही दिक्कतों पर केंद्र के किसी जिम्मेदार अफसर से हलफनामा मांगा है। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार से भी पूछा है कि क्या हिंसा पर काबू पाने के लिए उनके सुरक्षा बलों की तैनाती होगी। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। इसी बीच, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अांदोलन और तेज करने का ऐलान करते हुए कहा कि 15 जुलाई से इसके नेता अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

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