देश के लिये एक मिसाल बनी बंगाल की जोइता

कोलकाता। ‘जजशिप ऑन ड्यूटी’ लिखे लाल प्लेट लगी कार से जब उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर में जब जोइता मंडल उतरती हैं तब ये  सिर्फ ट्रांसजेंडर्स के लिए सेलिब्रेशन का मौका नहीं होता है बल्कि ये पूरे हिन्दुस्तान के लिए जश्न का मौका होता है।
जोइता मंडल का राष्ट्रीय लोक अदालत तक का सफर इतना आसान नहीं था। जीने के लिए भीख मांगने से लेकर सोशल वर्कर का काम और फिर राष्ट्रीय लोक अदालत के बेंच के लिए चयनित होना ये सब जोइता ने अपनी इसी जिंदगी में देखी।  लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमिटी की तरफ से जोइता को बेंच के लिए नियुक्त किया गया था। जोइता का दफ्तर उस बस स्टैंड से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था जहां कभी उन्हें सोना पड़ा था क्योंकि उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से एक होटल ने उन्हें रूम देने से मना कर दिया था। इस घटाना के बाद ही जोइता ने अपने जैसे और भी दूसरे लोगों के लिए लड़ने का इरादा बनाया था।एक अंग्रेजी अखबार से बात-चीत में जोइता ने कहतीं हैं कि, मुझे इस बात का गर्व है और मेरा चयन लिंग भेद के खिलाफ समाज को एक सख्त संदेश देगा। लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमिटी की तरफ से जोइता के लिए जो नियुक्ति पत्र आया था उसमें उन्हें सोशल वर्कर बताया गया है तथा “लर्न्ड जज” की केटेगरी में रखा गया है। नियमों के मुकताबिक इस फैसले को सबडिविजनल कमिटी के चेयरमैन द्वारा स्टेट लीगल सर्विस अथोरिटी, कोलकाता को भी भैजा गया। जोइता के दोस्त जो उन्हें दिनाजपुर नोतुन आलो सोसाइटी के फाउंडिंग चेयरमैन के रूप में जानते हैं उन्होंने जोइता के फेसबुक टाइमलाइन पर बधाइयों के संदेश भर दिए। लोक अदालत बेंच में एक एडिशनल सेशन जज और एक वकील के साथ जोइता का वहां बैठना लोगों को उम्मीदें दे रहा है। अपने सोशल वर्किंग काम के तहत जोइता साल 2011 से ट्रांसजेंडर्स से जुड़े कई मुद्दों पर काम कर रही हैं। लोकअदालत में वो बैंक लोन से जुड़े केस देख रही थीं। जब वो एक ऑफिशियल गाड़ी में सिक्योरिटी एस्कोर्ट के साथ कोर्ट रूम में पहुंचीं तो सब लोग हैरान रह गए।
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