कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता निवासी 25 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात कराने की इजाज़त दे दी है। मेडिकल समस्याओं के चलते यह इजाज़त दी गई है। इस गर्भपात के लिए महिला ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी।
कोर्ट में अपील की गई थी कि ऐसा मेडिकल दिक्कतों के चलते ज़रुरी है। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। गर्भपात के लिए इजाज़त की याचिका लगाने वाली यह महिला कोलकाता की थी।
इस मामले में कोर्ट को यह फैसला करना था कि क्या महिला को गर्भपात की इजाज़त दी जा सकती है या नही। इसके लिए कोर्ट ने कोलकाता में सात डाक्टरों के पैनल का गठन कर महिला की मेडिकल जांच कराने के आदेश दिए थे और रिपोर्ट कोर्ट को सीलबंद कवर में सौंपने के आदेश दिए थे।
कोर्ट को सौंपी गई इस रिपोर्ट के बाद पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक्ट में सिर्फ भ्रूण नहीं बल्कि मां की जिंदगी के बारे में कहा गया है। अगर बच्चा पैदा होने के बाद कोमा में रहे या कुछ महसूस ना करे तो मां की जिंदगी कैसी रहेगी ? गर्भपात की इजाज़त मांग रही 33 साल की महिला ने बताया कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर बीमारियां हैं जिसके चलते उसके बचने की उम्मीद बेहद कम है।
गौरतलब है कि कानूनी तौर पर 20 हफ्ते तक के गर्भ को गिराने की मंजूरी है। महिला ने बीते महीने कोर्ट में गर्भ गिराने को लेकर याचिका दायर की थी।
महिला की याचिका में कहा गया था कि गर्भ में पल रहा बच्चा कभी न ठीक होने वाली बीमारी से जूझ रहा है। डॉक्टर ने कहा था कि कई सर्जरी के बाद भी बच्चे को ठीक नहीं किया जा सकेगा। साथ ही बच्चे की जिंदगी को भी खतरा बना रहेगा। जिसके बाद कोर्ट ने एक मेडिकल टीम का गठन किया था, जिसमें गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच की। उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में भी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की रहने वाली एक 22 वर्षीय महिला को 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत दी थी।महिला ने कोर्ट को बताया था कि, गर्भधारण करने के 21 हफ्ते के बाद उसे पता चला कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का कपाल नहीं है। वहीं इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की एक बलात्कार पीड़िता के 24 हफ्ते के गर्भ को भी गिराने की इजाजत दे दी थी।

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